CG”जल जीवन मिशन में ठेकेदारों की बड़ी लापरवाही उजागर! सरकार का हथौड़ा चला –70 को थमाए गए नोटिस!”
रायपुर।छत्तीसगढ़ की बहुचर्चित और प्राथमिकता प्राप्त योजना जल जीवन मिशन में हो रही लापरवाही ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। राज्य सरकार के लाख प्रयासों और निर्देशों के बावजूद कुछ ठेकेदार समय पर काम पूरा नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन अब इस उदासीनता पर सरकार ने कठोर रुख अपनाते हुए बड़ी कार्रवाई की है।
मुंगेली जिले में जल जल जीवन मिशन के अधूरे कार्यों पर पीएचई विभाग ने 70 ठेकेदारों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। यदि इन ठेकेदारों ने जल्द ही काम पूरा नहीं किया, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी — यह विभाग का साफ संदेश है।
“अब बर्दाश्त नहीं होगी सुस्ती, ठेकेदारों पर गिरेगी गाज!”
जल जीवन मिशन का उद्देश्य है – हर ग्रामीण घर में शुद्ध और सुरक्षित पेयजल पहुँचाना। लेकिन इस महान और जनहितैषी योजना में जब ढिलाई सामने आई, तो विभाग के उच्च अधिकारियों ने स्वयं मोर्चा संभाल लिया।जल जीवन मिशन के सचिव श्री मोहम्मद कैसर अब्दुल हक ने हाल ही में मुंगेली का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने जिले के विभिन्न गांवों में चल रही जल योजनाओं का मौके पर निरीक्षण किया।
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मुंगेली जिला में जिन उम्मीदों के साथ गांवों में नलजल योजना शुरू हुई थी, वे उम्मीदें अब ठेकेदारों की सुस्ती के कारण धूमिल हो रही थीं। निरीक्षण में स्पष्ट रूप से सामने आया कि अनेक परियोजनाएं तय समय सीमा से बहुत पीछे हैं। पाइपलाइन अधूरी पड़ी थी, टंकियों का निर्माण अधर में लटका हुआ था और कहीं-कहीं तो निर्माण कार्य महीनों से बंद पड़ा था।
“सिर्फ चेतावनी नहीं, अब होगी कार्रवाई”–सचिव हक की दो टूक:- निरीक्षण के बाद कलेक्टर श्री कुंदन कुमार और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक में श्री हक का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने साफ शब्दों में कहा,
“ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। ठेकेदारों की लापरवाही से सरकार की छवि खराब हो रही है, जो कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिए कि कार्यों की गति तत्काल तेज की जाए और जो ठेकेदार अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं कर रहे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
70 ठेकेदारों को थमा दिया गया नोटिस –गूंज उठा विभाग में भूचाल!”
मुंगेली जिला में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की इस कार्रवाई के बाद विभागीय गलियारों में खलबली मच गई है। मुंगेली जिले के 70 ठेकेदारों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। अब इन्हें यह बताना होगा कि समय सीमा के भीतर कार्य क्यों पूर्ण नहीं किए गए, और विलंब के लिए कौन जिम्मेदार है।
मुंगेली जिला में इस नोटिस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि निर्धारित समयसीमा में कार्य पूरा नहीं किया गया, तो उनके कार्यादेश रद्द किए जा सकते हैं, ब्लैकलिस्टिंग की कार्रवाई की जा सकती है और सुरक्षा निधि जब्त की जा सकती है।यही नहीं छत्तीसगढ़ के बाकी जिलों में खलबली मच गई है!
ग्रामीणों का आक्रोश – “बूंद-बूंद को तरसते हैं हम”:- दूसरी ओर गांवों में रहने वाले लोग इस लापरवाही से बेहद नाराज़ हैं। कई गांवों में महिलाएं आज भी दूर-दराज के हैंडपंपों से पानी लाने को मजबूर हैं।
मुंगेली जिले के ग्रामीणों ग्रामीणों का दर्द–
“सरकार ने बहुत अच्छा कदम उठाया है, पर ठेकेदारों की लापरवाही ने हमारी उम्मीदें तोड़ दी हैं।”
ग्रामीणों की पीड़ा को देखते हुए यह निर्णय और भी जरूरी लगने लगा है।
क्या है जल जीवन मिशन?
भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया यह मिशन वर्ष 2019 में प्रारंभ हुआ था, जिसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल पहुंचाना है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस मिशन को गंभीरता से लेते हुए बजट भी सुनिश्चित किया, लेकिन ज़मीनी स्तर पर जो ठेकेदार काम कर रहे हैं, उनकी सुस्ती इस महान योजना को पलीता लगा रही है।
राज्य सरकार की मंशा साफ – कोई भी दोषी नहीं बचेगा!
छत्तीसगढ़ सरकार के सूत्रों की मानें तो यह सिर्फ शुरुआत है। विभागीय निरीक्षण की प्रक्रिया अब और तेज होगी। अन्य जिलों में भी कार्यों की स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा और जहां भी गड़बड़ी मिलेगी, वहीं पर कार्रवाई होगी।जल जीवन मिशन के तहत पारदर्शिता बनाए रखने के लिए मॉनिटरिंग सिस्टम को भी मजबूत किया जा रहा है। GPS ट्रैकिंग, रीयल टाइम अपडेट्स, और वीडियो मॉनिटरिंग जैसे उपाय अब लागू किए जा रहे हैं ताकि कोई भी परियोजना अटक न जाए।
•क्या होंगे इस कार्रवाई के प्रभाव?
ठेकेदारों में जवाबदेही बढ़ेगी
•कार्यों की गति में तेजी आएगी
•ग्रामीणों को समय पर पानी मिलेगा
•सरकार की विश्वसनीयता और प्रशासनिक पकड़ मजबूत होगी
जल जीवन मिशन जैसी महत्वपूर्ण योजना में लापरवाही अब किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पीएचई विभाग ने सख्त कदम उठाकर यह संदेश दे दिया है कि जनहित में की जा रही योजनाओं के रास्ते में बाधा डालने वालों को अब कड़ी सजा भुगतनी होगी।
अब ठेकेदारों के सामने है दो रास्ते – या तो काम समय पर पूरा करें, या फिर झेलें सरकार की सख्ती!