BiG Breaking”बड़ा हादसा इंद्रायणी की गोद में समाया जीवन! — पुणे में पुल ढहा, चीखों से कांपी नदी, 6 की मौत की पुष्टि, 30 लापता!”
Maharastra/पुणे आज रविवार को पुणे में एक दर्दनाक हादसा घटा जिसने पूरे महाराष्ट्र को हिला कर रख दिया। शहर की शांत और पवित्र मानी जाने वाली इंद्रायणी नदी, आज मातम का प्रतीक बन गई। इस नदी पर बना एक पुराना पुल अचानक भरभराकर ढह गया, जब उस पर पर्यटकों की मृत्यु होने की खबर आ रही है।
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो यह हादसा आज दोपहर को हुआ। पुल पर हल्की बारिश के बीच यातायात सामान्य रूप से चल रहा था। तभी अचानक लोहे और पत्थरों की चरमराती आवाज़ गूंजी और देखते ही देखते पुल का एक हिस्सा नदी में समा गया। जो भी उस समय पुल पर था, वो बिना चेतावनी के नीचे बहती इंद्रायणी में जा गिरा।
“मौत का पुल” — अचानक टूटी सांसें:-
पुणे में अब तक की पुष्टि के अनुसार, इस भयावह हादसे में 6 लोगों की मौत हो चुकीहै,जिसको एनडीआरएफ की टीम ने बरामद किया। सूत्रों की माने तो हादसे के समय नदी में गिरने वाले अन्य 25 से 30 लोगों के लापता होने की आशंका जताई जा रही है। पानी का बहाव तेज होने के कारण बचाव कार्यों में काफी कठिनाई आई।
स्थानीय निवासी जो घटनास्थल से मात्र कुछ मीटर दूर रहते हैं, ने बताया —
“मैंने तेज आवाज सुनी जैसे कोई धमाका हुआ हो, जब बाहर आया तो देखा कि पूरा पुल ही टूट चुका था। लोग पानी में चिल्ला रहे थे, कोई बचाने के लिए नहीं था।”
NDRF और दमकल विभाग की जद्दोजहद:-
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, दमकल विभाग, और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें मौके पर रवाना की गईं। गोताखोरों ने रेस्क्यू बोट्स की मदद से बचाव कार्य को अंजाम दिया, लेकिन बहाव बहुत तेज होने से बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
एनडीआरएफ के कमांडर ने बताया:
“हमने तुरंत 5 टीमें तैनात कीं। अब तक 6 शव बरामद हुए हैं, जबकि बाकी की तलाश जारी है। हम हर संभावित स्थान को खंगाल रहे हैं।”
वर्षों से लटका था मरम्मत का प्रस्ताव:-
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले पांच वर्षों से इसकी स्थिति “अत्यंत जर्जर” घोषित की जा चुकी थी। नगर निगम द्वारा इसकी मरम्मत या पुनर्निर्माण की योजना कई बार फाइलों में आई और दबी रह गई। प्रशासनिक लापरवाही और राजनीति के फेर में आम जनता की जान की कीमत आज फिर चुकानी पड़ी।
“ पुल की जर्जर स्थिति को लेकर प्रशासन ने कभी गंभीरता से नहीं लिया। आज वही लापरवाही दर्जनों जिंदगियां लील गई।”
पीड़ित परिवारों का मातम:-
पुल ढहने की खबर के बाद, पुणे के सरकारी अस्पतालों में अफरा-तफरी का माहौल रहा। लापता लोगों के परिजन अस्पताल और नदी किनारे बेतहाशा अपने अपनों को खोजते नजर आए। किसी के हाथ में तस्वीरें थीं, कोई रोते हुए प्रशासन से सवाल पूछ रहा था — “हमारा क्या कसूर था?”
महाराष्ट्र सरकार की घोषणा — जाँच और मुआवजा
मुख्यमंत्री ने हादसे पर शोक जताते हुए मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा और घायलों को नि:शुल्क इलाज की घोषणा की है। साथ ही, इस पूरे हादसे की उच्चस्तरीय जांच समिति गठित करने की बात कही गई है।
मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा:“पुणे की घटना अत्यंत दुखद है। मैं सभी प्रभावितों के साथ हूं। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
क्या यह हत्या नहीं?
यह कोई प्राकृतिक आपदा नहीं थी। यह पुल का अचानक ढहना, किसी ‘एक्सीडेंट’ से ज़्यादा एक प्रशासनिक हत्या जैसा प्रतीत हो रहा है। यह हादसा नहीं, बल्कि अनदेखी, लापरवाही और संवेदनहीनता की परिणति है। अगर समय पर मरम्मत होती, अगर चेतावनी बोर्ड लगे होते, तो शायद आज ये खबर किसी पिकनिक की होती, किसी शवयात्रा की नहीं।
भविष्य के लिए चेतावनी:-
पुणे की यह त्रासदी न केवल महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है। भारत में हजारों ऐसे पुल, इमारतें, रेलवे स्टेशन, और सड़कें हैं जो अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। यदि सरकारें समय रहते सजग न हुईं, तो आने वाले समय में हर नदी, हर पुल मातम की कहानी बन सकता है।
https://jantakitakat.com/2025/06/15/cg-breakingकेशकाल-की-पहाड़ियों-पर-व/
अंत की शुरुआत या चेतना का क्षण?
अब सवाल यह नहीं कि कौन जिम्मेदार है — क्योंकि जवाब सबको पता है। सवाल यह है कि क्या यह आखिरी हादसा होगा? या फिर अगला पुल, अगली नदी, अगली जान…?
इंद्रायणी की लहरें आज सिर्फ पानी नहीं बहा रहीं, वो बहा रही हैं उन सवालों को जिनका जवाब देना ही होगा। वरना हर हादसे पर सिर्फ मुआवजा बांटते रहेंगे और माताएं अपने बच्चों की लाशें खोजती रहेंगी।