Raigarh/छत्तीसगढ़ सरकार की ‘जीरो टोलरेंस’ नीति ने एक बार फिर अपने असरदार तेवर दिखाए हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी सबसे बड़ी टैक्स चोरी का खुलासा करते हुए, राज्य जीएसटी विभाग ने रायगढ़ की प्रतिष्ठित मानी जाने वाली फर्म “मेसर्स श्याम सर्जिकल” पर बड़ी कार्रवाई की है। यह मामला केवल कर चोरी का नहीं, बल्कि वर्षों से सरकारी खरीद और जनस्वास्थ्य के नाम पर लूट की दास्तान है, जिसमें झारखंड और ओडिशा तक की डोर जुड़ी है।
राज्य के वित्त मंत्री ओपी चौधरी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सीधी निगरानी में हुई इस छापेमारी ने सरकारी महकमे से लेकर कारोबारी गलियारों तक सनसनी फैला दी है। विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट बताती है कि पिछले पांच वर्षों में इस फर्म ने 48 करोड़ रुपये की फर्जी आपूर्ति दिखाकर केवल 10 करोड़ की खरीदी पर आधारित झूठे बिल बनवाए, और कर चोरी की सुनियोजित साजिश को अंजाम दिया।
मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति के नाम पर लूट!
यह फर्म वर्षों से छत्तीसगढ़ के साथ-साथ झारखंड और ओडिशा के सरकारी अस्पतालों में सर्जिकल और मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति कर रही थी। लेकिन जांच में सामने आया कि इस सप्लाई की आड़ में एक सुनियोजित फर्जीवाड़ा चल रहा था।
कागजों पर लाखों की मशीनें, ज़मीन पर कबाड़ से भी बदतर सामान!
राज्य जीएसटी विभाग के अनुसार, फर्म ने असली खरीद मूल्य से 4-5 गुना अधिक दाम पर बिल बनाए, जिससे 400-500% तक का मुनाफा कमाया गया। लेकिन यह मुनाफा न तो करदाताओं के बीच आया, न ही सरकार को इसका कोई हिस्सा मिला।
परिवार बना भ्रष्टाचार का गठजोड़!
इस कर चोरी को छिपाने के लिए, फर्म के संचालक ने अपने ही परिवार के सदस्यों के नाम पर तीन और कंपनियां – ‘राहुल इंटरप्राइजेज’, ‘नारायणी हेल्थकेयर’ और ‘पीआर इंटरप्राइजेज’ – बना लीं। इन कंपनियों के बीच आपसी लेन-देन और फर्जी इनवॉइस के जरिए लगभग 1 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी को अंजाम दिया गया।
ये कंपनियां एक-दूसरे को ही सामान बेचती और खरीदती दिखाती रहीं, जिससे कर अधिकारियों को भ्रमित किया जा सके। लेकिन राज्य जीएसटी विभाग की तेज़ नजर और डिजिटल जांच प्रणाली के चलते यह मायाजाल ज्यादा दिन नहीं चल पाया।
राज्य सरकार के निर्देश और ईमानदार शासन का परचम!
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कुछ महीने पहले ही स्पष्ट निर्देश दिए थे कि “राज्य की निधियों से खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” इस नीति के तहत वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने भी सभी संबंधित विभागों को अलर्ट मोड पर रहने के लिए कहा था।
वित्त मंत्री ने बयान में कहा –
“सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। ऐसे आपूर्तिकर्ता जो व्यवस्था का दुरुपयोग करते हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। यह केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि जनहित के साथ विश्वासघात है।”
छापेमारी के दौरान मिली चौंकाने वाली जानकारियाँ!
जीएसटी अधिकारियों की टीम जब रायगढ़ स्थित श्याम सर्जिकल के कार्यालय और गोदाम पर पहुंची, तो वहां कागजी रिकॉर्ड के अलावा डिजिटल डेटा भी खंगाले गए। अधिकारियों को कई कंप्यूटर और पेनड्राइव में छिपी हुई दोहरी बहीखातों की फाइलें मिलीं, जिससे फर्जी बिलिंग और टैक्स चोरी के ठोस सबूत मिले।
साथ ही कर्मचारियों से पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि सामान की वास्तविक डिलीवरी बेहद कम होती थी, जबकि कागजों पर लाखों की आपूर्ति दिखाकर अस्पतालों से भुगतान उठाया जाता था।
टैक्स चोरी करने वालों के लिए चेतावनी की घंटी!
राज्य जीएसटी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा –
“यह कार्रवाई एक सख्त चेतावनी है उन सभी व्यापारियों के लिए जो सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर अनुचित लाभ कमाने की फिराक में रहते हैं। हम पूरी ताकत से ऐसी प्रवृत्तियों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।”
इस कार्रवाई ने अन्य जिलों में भी हलचल पैदा कर दी है। राज्य सरकार अब सभी सरकारी अस्पतालों की खरीद संबंधी लेनदेन की गहन समीक्षा कराने की तैयारी में है।
जनता के स्वास्थ्य के साथ विश्वासघात!
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह टैक्स चोरी किसी आम व्यवसाय में नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य जैसे संवेदनशील क्षेत्र में की गई। इससे स्पष्ट है कि मुनाफे के लालच में इंसानियत भी ताक पर रख दी गई। अस्पतालों को खराब, घटिया या अवैध तरीके से महंगे किए गए उपकरण देकर न सिर्फ़ मरीजों की जिंदगी को खतरे में डाला गया, बल्कि सरकार और जनता के बीच की भरोसे की डोर को भी तोड़ा गया।
अब क्या आगे?
राज्य जीएसटी विभाग ने मामले को गंभीर मानते हुए आगामी दिनों में आरोपी फर्म और उसके निदेशकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, बैंक खातों को सील करने और संपत्तियों की जांच शुरू करने की तैयारी कर ली है। साथ ही अन्य राज्यों के संबंधित विभागों को भी इस फर्म की गतिविधियों की जानकारी साझा की जा रही है।
भ्रष्टाचार के अंत की शुरुआत?
छत्तीसगढ़ की यह कार्रवाई सिर्फ एक फर्म पर नहीं, पूरे सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार पर करारा तमाचा है। सरकार की मंशा स्पष्ट है – अब कोई भी व्यवस्था का दुरुपयोग कर बच नहीं पाएगा। यह छापेमारी जनता में विश्वास लौटाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
और अंत में एक सवाल –
क्या अब भी कुछ लोग टैक्स चोरी को “स्मार्ट बिज़नेस” समझते हैं, या श्याम सर्जिकल की कहानी से उन्हें सबक मिलेगा?
समय बताएगा, लेकिन फिलहाल जीएसटी विभाग की इस कार्रवाई ने भ्रष्ट तंत्र की नींव हिला दी है।