CG Breaking”बड़ी दुर्घटना के साए में गुजर गई एक शाम: आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब की गाड़ी पर हमला, पत्थरों की बौछार में बाल-बाल बचे”
बेमेतरा/छत्तीसगढ़ की शाम की वह घड़ी एक आम लौटती यात्रा लग रही थी, लेकिन अगले ही पल बायपास रोड की शांति हिंसा की चीख में बदल गई। छत्तीसगढ़ के आरंग विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक और अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष गुरु खुशवंत साहेबउस समय मौत से चंद इंच दूर रह गए, जब अज्ञात असामाजिक तत्वों ने उनके काफिले पर अचानक पत्थरों की बरसात कर दी।
यह दिल दहला देने वाली घटना बेमेतरा जिले के नवागढ़ क्षेत्र में स्थित चारभांठा ढोलिया एवं भोईनाभांठा के बीच की है। गुरु खुशवंत साहेब एक सामाजिक कार्यक्रम से लौट रहे थे, और जैसे ही उनका वाहन बायपास से गुज़रा, अंधेरे में छिपे हमलावरों ने अचानक उन पर हमला कर दिया।
पत्थरों की बारिश, टूटते शीशे और दहशत का तांडव!
विधायक जिस गाड़ी में सवार थे, उसी पर सीधा निशाना साधा गया। हमलावरों ने बड़े-बड़े पत्थर फेंके जो गाड़ी के शीशों को चकनाचूर करते हुए अंदर तक घुसने की कोशिश में थे। गाड़ी की रफ्तार अगर ज़रा भी कम होती, तो यह हमला किसी बड़े जानलेवा हादसे में तब्दील हो सकता था। पत्थरों की बौछार इतनी अचानक और तीव्र थी कि ड्राइवर को गाड़ी रोकने का मौका तक नहीं मिला। काफिले में चल रही अन्य गाड़ियां भी हड़बड़ाहट में बचाव की मुद्रा में आ गईं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस तरीके से हमला हुआ, वह पूरी तरह से सुनियोजित प्रतीत होता है। कुछ लोगों ने दावा किया कि कुछ युवकों को घटनास्थल से भागते देखा गया है, लेकिन अंधेरा होने के कारण उनकी पहचान नहीं हो सकी।
घटना के बाद मचा हड़कंप, पुलिस मौके पर!
घटना की खबर मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। नवागढ़ थाना पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची और घेराबंदी कर दी। विधायक के सुरक्षा स्टाफ ने तुरंत स्थिति की जानकारी पुलिस को दी थी, जिसके बाद पुलिस ने क्षेत्र में तलाशी अभियान शुरू किया।
घटना की गंभीरता को देखते हुए, जिले के उच्च अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है ताकि हमलावरों की पहचान की जा सके।
“भगवान की कृपा से बचे हैं” – बोले विधायक!
घटना के बाद मीडिया से बात करते हुए visibly shaken गुरु खुशवंत साहेब ने कहा, “भगवान की कृपा और जनता की दुआओं से आज मैं सुरक्षित हूं। लेकिन यह हमला केवल मेरे ऊपर नहीं था, यह लोकतंत्र पर हमला है। इसकी सच्चाई सामने आनी ही चाहिए।”
उन्होंने प्रशासन से मांग की कि जल्द से जल्द दोषियों को गिरफ्तार कर कड़ी सजा दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की घटनाएं लोकतांत्रिक मूल्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं।
राजनीति में भूचाल, विपक्ष ने साधा निशाना!
इस हमले के बाद प्रदेश की राजनीति भी गरमा गई है। बीजेपी ने इस हमले को “लोकतंत्र की हत्या की कोशिश” बताया है और राज्य सरकार से सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। वहीं कांग्रेस ने हमले की निंदा तो की, लेकिन साथ ही इसे “राजनीतिक नौटंकी” कहकर पलटवार भी किया।
विपक्ष के नेता ने बयान जारी कर कहा कि “यदि प्रदेश में बीजेपी विधायक ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता की सुरक्षा का क्या होगा?” वहीं कांग्रेस नेताओं ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
गुरु खुशवंत साहेब कौन हैं?
गुरु खुशवंत साहेब केवल एक विधायक नहीं, बल्कि सतनामी समाज के प्रमुख नेता भी हैं। उनके पिता धार्मिक गुरु बाल दास साहेब हैं, जिनका छत्तीसगढ़ में व्यापक प्रभाव रहा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री शिवकुमार डहरिया को हराकर राजनीति में अपनी मज़बूत पकड़ साबित की थी।
उनका झुकाव समाज सेवा और धार्मिक कार्यों की ओर भी है। सतनामी समाज के लाखों लोग उन्हें “गुरु साहेब” के नाम से श्रद्धा से जानते हैं। ऐसे नेता पर जानलेवा हमला होना केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक समुदाय पर हमला माना जा रहा है।
क्या था हमला करने का मकसद?
फिलहाल पुलिस इस पूरे घटनाक्रम की जांच कई पहलुओं से कर रही है। क्या यह हमला राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का परिणाम था? या फिर समाजिक विद्वेष की कोई छिपी हुई चिंगारी भड़क उठी? इस बात का खुलासा जांच के बाद ही हो सकेगा।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, जल्द ही कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया जा सकता है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि बायपास रोड के आसपास हाल ही में सूत्रों की माने भूमि विवाद और कुछ स्थानीय झगड़े भी सामने आए थे, जिनका इस हमले से कोई संबंध हो सकता है।
गुरु खुशवंत साहेब की गाड़ी पर हुआ यह हमला केवल एक राजनीतिक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा पर हमला है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि छत्तीसगढ़ जैसे शांत राज्य में भी असामाजिक तत्वों की जड़ें गहरी होती जा रही हैं। अब सवाल यही है—क्या दोषियों को मिलेगी सज़ा? या फिर यह हमला भी एक और “अनसुलझा हादसा” बनकर रह जाएगा?
जनता पूछ रही है — “कब तक?”