Badodra”गंभीरा पुल बना मौत का फंदा: महिसागर में समा गए सपने, एक ही परिवार के उजड़ने से कांप उठा वडोदरा”
गुजरात के वडोदरा जिले में मंगलवार की सुबह एक ऐसा मंजर देखने को मिला जिसने पूरे प्रदेश को सदमे में डाल दिया। वडोदरा और आंणद जिले को जोड़ने वाला गंभीरा पुल, जो वर्षों से आवाजाही की मुख्य कड़ी था, अचानक महिसागर नदी में ढह गया। पल भर में पुल पर चल रहे वाहन और उसमें सवार लोग नदी की लहरों में समा गए।
अब तक 15 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। जिसमे 13 लोगो के शव बुधवार को बरामद हुयें थें!ये सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि इंसानी लापरवाही, टूटते भरोसे और प्रशासनिक सुस्ती का क्रूर परिणाम है। हादसे के बाद घटनास्थल पर आहें, चीखें और मातम का मंजर है, और पूरा गुजरात स्तब्ध है।
जब पुल टूटा, सब कुछ डूब गया…
बुधवार सुबह करीब 7 बजे, महिसागर नदी पर स्थित गंभीरा पुल का एक 10 से 15 मीटर लंबा स्लैब अचानक टूट गया। पुल से गुजर रहे छह वाहन — दो ट्रक, दो वैन, एक ऑटोरिक्शा और एक बाइक सीधे नदी में जा गिरे। दो अन्य वाहन भी गिरने ही वाले थे कि उन्हें खींचकर बचा लिया गया।
इस हादसे में कुछ लोग तैरकर अपनी जान बचाने में कामयाब हुए, लेकिन कई लोगों को बाहर निकलने का मौका भी नहीं मिला।
मां की आंखों के सामने डूबे बच्चे: सोनलबेन की करुण कथा!
इस दर्दनाक हादसे में मुजपुर गांव की निवासी सोनलबेन पढियार ने अपने पति रमेश (38), बेटी वेदिका (4) और बेटे नैतिक (2) को खो दिया। एक मां की आंखों के सामने उसका पूरा परिवार नदी की गहराइयों में समा गया।बड़ोदरा के तालुका कें मुजपुर गाँव की निवासी सोनल बेन नें बताया कि एक घंटे तक मदद मांगी लेकिन कोई फयदा नही हुआ महिसागर नदी के किनारे स्थित मुजपुर पुल के बहुत पास हैं! सोनलबेन ने रोते हुए बताया:
“हम बगदाना मंदिर दर्शन के लिए जा रहे थे। वैन में सात लोग सवार थे। मैं पीछे बैठी थी इसलिए किसी तरह बाहर निकल पाई। पुल टूट गया और एक ट्रक सीधे हमारी वैन पर गिरा। सब फंस गए… मैं एक घंटे तक मदद के लिए चिल्लाती रही, लेकिन कोई नहीं आया।”यह बयान सुनकर पत्थर दिल भी पिघल जाए।
एनडीआरएफ-एसडीआरएफ का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी!
वडोदरा के कलेक्टर अनिल धमेलिया ने पुष्टि की कि अब तक 15 शव बरामद किए जा चुके हैं और तीन लोग अभी भी लापता हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें नदी के 4 किलोमीटर क्षेत्र में तलाशी अभियान चला रही हैं।“बारिश और नदी में जमा तीन मीटर मोटी कीचड़ बचाव अभियान को कठिन बना रही है। मशीनें काम नहीं कर पा रही हैं, इसलिए नदी के बीच एक विशेष पुल बनाया जा रहा है,” — अनिल धमेलियाहादसे में एक कार और एक मिनी ट्रक अब भी नदी में फंसे हैं, जिनमें कितने लोग सवार थे इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। हो सकता है मौत का आंकड़ा अभी और बढ़े।
1985 में बना था पुल
गुजरात के मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि पुल का निर्माण 1985 में हुआ था। समय-समय पर इसका रखरखाव किया जाता था। उन्होंने कहा, घटना के पीछे के सटीक कारण की जांच की जाएगी। तस्वीरों में दो खंभों के बीच पुल का पूरा स्लैब ढहता हुआ दिखाई दे रहा है। स्लैब के ढहने से उस पर से गुजर रहे वाहन नदी में गिर गए। लगभग 900 मीटर लंबे गंभीरा पुल में 23 खंभे हैं और यह गुजरात के वडोदरा और आणंद जिलों को जोड़ता है।
जिम्मेदार कौन? प्रशासनिक चूक या नियति?
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि गंभीरा पुल की हालत पिछले कुछ महीनों से जर्जर थी। इसके बावजूद न तो इसकी मरम्मत की गई, न ही ट्रैफिक रोका गया।“क्या कोई पुल ऐसे ही गिर जाता है? ये हादसा नहीं, सुनियोजित लापरवाही का परिणाम है,” — स्थानीय निवासी सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन सवाल यही है कि क्या जांच से मरे हुए लोग वापस आएंगे? क्या सोनलबेन का उजड़ा घर फिर बसेगा?
महिसागर की लहरों में डूबे सपनों का हिसाब कौन देगा?
गुजरात सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवज़ा देने की घोषणा जरूर की है, लेकिन क्या चंद लाख रुपए किसी की पूरी दुनिया की भरपाई कर सकते हैं? हादसा केवल पुल का नहीं हुआ है, हादसा भरोसे, सुरक्षा और व्यवस्था का हुआ है।
अब और लाशों का इंतज़ार मत कीजिए!
यह हादसा एक चेतावनी है — इन्फ्रास्ट्रक्चर की अनदेखी और ढीली प्रशासनिक जिम्मेदारी कब तक लोगों की जान लेती रहेगी? अगर अब भी देश में पुलों, सड़कों और सुरक्षा मानकों पर ध्यान नहीं दिया गया तो अगला हादसा किसी और शहर, किसी और नदी पर इंतज़ार कर रहा होगा।
प्रार्थना उन सभी आत्माओं के लिए जो महिसागर की लहरों में विलीन हो गईं।
अब वक्त है आंखें खोलने का, और व्यवस्था को जवाबदेह बनाने का।