रायपुर/छत्तीसगढ़ में फर्जी बिलों पर गिरी गाज ओ.पी. चौधरी का कर सुधारों पर बड़ा वार किया गया है। छत्तीसगढ़ बना जीएसटी सुधारों का आदर्श मॉडल केंद्र के समक्ष रखे सख्त सुझाव जिसके फलस्वरूप देश की राजधानी दिल्ली में आज एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक घटनाक्रम ने करवट ली, जब जीएसटी राजस्व संग्रहण के मुद्दे पर गठित मंत्रियों के समूह (GoM) की बैठक में छत्तीसगढ़ के तेजतर्रार वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने भ्रष्टाचार, बोगस पंजीयन और फर्जी बिलिंग के खिलाफ एक सख्त और ठोस एजेंडा प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने तर्कों, तथ्यों और विजन से न केवल केंद्र सरकार बल्कि अन्य राज्यों के वित्त मंत्रियों को भी चौंका दिया।
बैठक में गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत के संयोजन में देशभर के वित्त मंत्री शामिल हुए, लेकिन चर्चा का केंद्र बिंदु बनकर उभरे छत्तीसगढ़ के ओ.पी. चौधरी। उन्होंने जिस तरह से जीएसटी संग्रहण में पारदर्शिता, तकनीक और कानून का समुचित संतुलन स्थापित करने की वकालत की, वह पूरे हॉल में चर्चा का विषय बन गया।
“अब नहीं चलेगा बोगस व्यापारियों का खेल” – चौधरी ने तीखे शब्दों में कहा!
छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री उन्होंने सुझाव दिया कि पंजीयन प्रक्रिया को केंद्रीयकृत डिजिटल तंत्र से जोड़ा जाए ताकि बोगस व्यवसायियों की पहचान तुरंत हो सके और फर्जी ITC लेने वालों पर तुरन्त कार्यवाही हो। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में AI और डेटा एनालिटिक्स आधारित निगरानी से कर अपवंचन पर प्रभावी अंकुश लगा है।
छत्तीसगढ़ – बना राष्ट्रीय मॉडल!
बैठक में मंत्री चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य ने न केवल नियमित समीक्षा की प्रक्रिया अपनाई, बल्कि डेटा आधारित निर्णय प्रणाली को भी लागू किया। इसका प्रत्यक्ष लाभ राज्य के राजस्व संग्रहण में उल्लेखनीय वृद्धि के रूप में सामने आया है।
बीफा, GST प्राइम, और ई-वे बिल पोर्टल जैसे अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग अब छत्तीसगढ़ में नियमित हो चुका है। श्री चौधरी ने इन नवाचारों को पूरे देश में लागू करने का सुझाव देते हुए कहा, “जब तकनीक है, तो भ्रष्टाचार क्यों?”
सख्त कदम, सटीक रणनीति:- बैठक के दौरान ओ.पी. चौधरी ने फर्जी बिलिंग और फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट को सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल राजस्व की चोरी नहीं, बल्कि देश की आर्थिक रीढ़ पर वार है। इसके समाधान के रूप में उन्होंने 3-स्तरीय नियंत्रण प्रणाली का प्रस्ताव रखा:
• केंद्रीयकृत पंजीकरण जांच प्रणाली,
• अंतरराज्यीय डेटा साझा तंत्र,
• रियल-टाइम अलर्ट सिस्टम।
भरोसे और बदलाव की बात:- मंत्री चौधरी ने कहा, “हम करदाताओं का विश्वास तभी जीत सकते हैं जब हम उन्हें पारदर्शी, तेज़ और निष्पक्ष कर प्रणाली दें। फर्जीवाड़ा रोकने की दिशा में उठाया गया हर कदम करदाताओं में भरोसे की नींव रखेगा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि जीएसटी सुधारों को राजनीति से ऊपर उठकर देखा जाना चाहिए। “यह किसी एक राज्य या पार्टी की बात नहीं, यह भारत के आर्थिक आत्मसम्मान की बात है।”
राष्ट्रीय स्तर पर सराहना:- बैठक में मौजूद अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों ने भी छत्तीसगढ़ मॉडल की तारीफ की। कुछ ने तो इसे “रोल मॉडल” तक कह दिया। एक वरिष्ठ मंत्री ने बैठक के बाद कहा, “जो बातें ओ.पी. चौधरी ने रखीं, वो आज देश के हर राज्य को सुननी और अपनानी चाहिए।”
“अब नहीं चलेगा फर्जीवाड़ा”:- बैठक में चौधरी ने जोर देकर कहा कि सभी राज्यों को साझा रणनीति अपनानी होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि मंत्रियों के समूह की सिफारिशें जल्द ही GST परिषद द्वारा स्वीकार की जाएंगी और भारत में कर प्रशासन को नई दिशा मिलेगी।
“कर सुधार की आग भड़की – फर्जी पंजीयन की दीवारें ढहने लगीं!”
“ओ.पी. चौधरी की हुंकार – अब जीएसटी को नहीं बर्बाद होने देंगे!”