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September 10, 2025 6:26 pm

Baster News“कोल्ड स्टोरेज क्रांति” से बदलेगी बस्तर की किस्मत:पातररास से उठेगा विकास का नया सूरज, खेती-किसानी को मिलेगी नई उड़ान 

Baster/दंतेवाड़ा बस्तर कोल्ड स्टोरेज क्रांति” से बदलेगी बस्तर की किस्मत – पातररास से उठेगा विकास का नया सूरज, खेती-किसानी को मिलेगी नई उड़ान मिलेगी यहां की मिट्टी में अब सिर्फ जंगलों की महक नहीं, विकास की खुशबू भी बहेगी! वर्षों से वनोपज और खेती किसानी पर निर्भर दंतेवाड़ा के हजारों किसान और आदिवासी परिवार अब अपनी मेहनत की असली कीमत पाएंगे। और ये मुमकिन होगा — पातररास गांव में शुरू हो रही एक ऐतिहासिक कोल्ड स्टोरेज सुविधा से, जो न केवल उपज को बचाएगी, बल्कि भविष्य की नई संभावनाओं का दरवाज़ा भी खोलेगी।

यह कोई साधारण प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना और छत्तीसगढ़ सरकार की साझी पहल है, जो अब आदिवासी अंचलों में क्रांति की दस्तक दे रही है। यह भारत की पहली सरकारी स्तर पर निर्मित अत्याधुनिक सुविधा होगी, जिसमें कोल्ड स्टोरेज, रेडिएशन मशीन, सोलर सिस्टम और परिवहन के लिए विशाल ट्रक शामिल होंगे।

अब नहीं होगी उपज की बर्बादी, बढ़ेगी आय!

बस्तर में हर साल लाखों टन इमली, महुआ, कोदो, कुटकी, बाजरा, जंगली आम और अन्य वनोपज पैदा होते हैं, लेकिन उन्हें न संभाल पाने की वजह से 20% तक उपज खराब हो जाती है। अब जिस सुविधा की नींव रखी गई है, वह इस समस्या को जड़ से खत्म कर देगी।

1500 मीट्रिक टन क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज और 1000 मीट्रिक टन फ्रोजन स्टोरेज से ये उपज सालों तक सुरक्षित रखी जा सकेगी। ब्लास्ट फ्रीजर, रेडिएशन चैंबर, मोबाइल ट्रक और सोलर ऊर्जा से लैस यह केंद्र किसानों को न केवल अधिक दाम दिलाएगा, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी बस्तर के उत्पादों को पहचान दिलाएगा।

25 करोड़ की लागत, 10 हजार मीट्रिक टन सालाना संग्रहण क्षमता:- 
बस्तर की इस परियोजना में कुल 25 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है, जिसमें केंद्र सरकार से 10 करोड़ और जिला खनिज निधि से 14.98 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं। संचालन की जिम्मेदारी जिला परियोजना आजीविका कॉलेज सोसायटी को दी गई है — एक संस्था जो आदिवासी युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए बनाई गई है।

इसमें लगे उपकरण जैसे रेडिएशन मशीन (BRIT संस्था से करार), ब्लास्ट फ्रीजर, मिनी कोल्ड रूम और तीन भारी ट्रक मिलकर बस्तर के ग्रामीणों की दुनिया ही बदल देंगे। सालाना 10,000 मीट्रिक टन उपज को संरक्षित करने की क्षमता रखने वाली यह सुविधा अब बीजापुर, सुकमा, कोंडागांव और नारायणपुर जैसे जिलों के किसानों का भी जीवन संवार सकती है।

ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार, बढ़ेगा राजस्व:- 
बस्तर की इस परियोजना से न केवल किसान लाभान्वित होंगे, बल्कि यह रोजगार का एक बड़ा जरिया भी बनेगा। करीब 8.5 करोड़ रुपये सालाना राजस्व की संभावना जताई गई है, जिससे स्थानीय युवाओं के लिए स्थायी नौकरी के अवसर पैदा होंगे।

यह पहल खासकर वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में शांति, स्थायित्व और आर्थिक स्वावलंबन की ओर बड़ा कदम साबित होगी। युवाओं को रोजगार, सम्मान और विकास की नई राह मिलेगी, जो उन्हें हिंसा से दूर और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगी।

पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी भी बरकरार:-

बस्तर का केंद्र पूरी तरह पर्यावरण-अनुकूल भी है। यहां 70 किलोवॉट की सौर ऊर्जा प्रणाली लगाई जा रही है, जिससे बिजली की बचत होगी और कार्बन उत्सर्जन में भी कटौती होगी। एक उदाहरण प्रस्तुत किया जा रहा है कि कैसे विकास और पर्यावरण साथ-साथ चल सकते हैं।

 “बस्तर ब्रांड” की होगी वैश्विक पहचान:- 

प्रशासन ने विशाखापत्तनम और रायपुर में मार्केट चैन तैयार कर ली है। इसके साथ ही बस्तर की उपज के लिए “बस्तर ब्रांड” तैयार करने की योजना बनाई गई है, जिससे यहां के उत्पाद को देश-विदेश में विशिष्ट पहचान मिलेगी।

यह ब्रांड न केवल स्थानीय उत्पादों को ऊंचा दर्जा देगा, बल्कि आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को भी सम्मान दिलाएगा।

  “मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का बयान”
“यह कोई साधारण कोल्ड स्टोरेज नहीं, बल्कि आदिवासी भाई-बहनों के भविष्य की बुनियाद है। अब उनकी उपज खराब नहीं होगी, उन्हें बेहतर कीमत मिलेगी और सीधे बड़े बाजार से जुड़ सकेंगे। यह प्रोजेक्ट बस्तर के लिए, बस्तर के लोगों द्वारा चलाया जाएगा। यह आत्मनिर्भर भारत की असली मिसाल बनेगा।”

काम जल्द शुरू, 2 साल में पूर्ण संचालन!

बस्तर की इस परियोजना के लिए जमीन चिह्नित हो चुकी है और तकनीकी करार भी हो चुके हैं। अगले 24 महीनों में इस केंद्र का पूरा काम हो जाएगा। काम शुरू होते ही स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी।

बदलाव की आहट, बस्तर बनेगा मॉडल:- 

बस्तर की यह क्रांति केवल स्थानीय नहीं रहेगी। यह भारत के अन्य आदिवासी और दूरस्थ इलाकों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बनेगी। यह दिखाता है कि जब सरकार की मंशा साफ हो, नीतियां जनकेंद्रित हों और जनता की भागीदारी सुनिश्चित हो — तब बदलाव अवश्य आता है।

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पातररास कोल्ड स्टोरेज परियोजना केवल एक इमारत नहीं, बल्कि एक आशा की रोशनी है — जो जंगलों से सजे बस्तर के कोने-कोने तक फैल रही है। यह परियोजना दिखाती है कि असली परिवर्तन नीचे से ऊपर की सोच से आता है। जब सरकार, समाज और तकनीक मिलकर काम करें — तब बस्तर जैसा क्षेत्र भी विकास की रफ्तार में देश को पीछे छोड़ सकता है।

अब बस्तर चुप नहीं, बस्तर बोलेगा — “हम तैयार हैं, बदलने के लिए और बदलने के लिए!”

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