CG News“पढ़ाई बने त्योहार, बच्चे बने सशक्त भारत का आधार”: शाला प्रवेशोत्सव में गूंजा शिक्षा का उद्घोष!
Mahasamund 16 जून 2025 — प्राथमिक शाला बेमचा बना शिक्षा उत्सव का रंगमंच, तिलक-मिठाई और प्रेरणाओं से हुआ बच्चों का स्वागत, मोबाइल से दूरी और ज्ञान की ओर बढ़ने का संकल्प! नए शिक्षण सत्र की पहली सुबह… और महासमुंद जिले के प्राथमिक शाला बेमचा में माहौल किसी त्यौहार से कम नहीं! बच्चे, पालक, शिक्षक और अधिकारी—सब एकजुट होकर शिक्षा के इस महायज्ञ में आहुति देने पहुंचे, जहां हर मुस्कान में उम्मीदें झलक रही थीं और हर आंखों में सपनों की चमक थी।
जब पढ़ाई बनी पर्व, बच्चों का हुआ भव्य स्वागत
“हर बच्चा पढ़े, हर बच्चा बढ़े — यही है विकसित भारत का नींव।” इस उद्घोष के साथ आज शाला प्रवेशोत्सव के मौके पर नन्हें छात्रों का पारंपरिक तिलक, रोली व मिठाई खिलाकर भव्य स्वागत किया गया। नए यूनिफॉर्म और किताबों की सौगात के साथ जब बच्चे पहली बार स्कूल की देहरी लांघे, तो हर चेहरा उम्मीद और उल्लास से दमक रहा था।
अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति: शिक्षा को मिली नई ऊर्जा:-
महासमुन्द जिला के इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कलेक्टर विनय कुमार लंगेह उपस्थित रहे। उनके साथ जिला पंचायत सीईओ एस. आलोक, स्काउट गाइड अध्यक्ष येतराम साहू, जनपद सदस्य संगीता चंद्राकर, सरपंच देवेंद्र चंद्राकर, एवं अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधि व स्कूली अधिकारी उपस्थित थे।
“एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत पौधरोपण!
महासमुन्द ग्राम बेमचा स्कूल के कार्यक्रम की शुरुआत स्कूल परिसर में वृक्षारोपण से हुई, जहां अतिथियों ने “एक पेड़ मां के नाम” अभियान को आगे बढ़ाते हुए पौधे रोपे। यह संदेश दिया गया कि जैसे पेड़ हमारी छांव बनते हैं, वैसे ही शिक्षा भी जीवन को उन्नति की राह देती है।
कलेक्टर लंगेह का स्पष्ट संदेश: मोबाइल से दूरी, शिक्षा से दोस्ती!
कलेक्टर लंगेह ने बच्चों से आत्मीय संवाद करते हुए कहा —
“मोबाईल और टीवी की लत बच्चों को शिक्षा से दूर कर रही है। हमें बच्चों को इनसे बचाकर किताबों और कक्षा से जोड़ना होगा।”
उन्होंने कहा कि मध्याह्न भोजन योजना और गणवेश वितरण में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। बच्चों को समय पर भोजन, गणवेश और पुस्तकें मिलें, यह सुनिश्चित करना स्कूल प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
पालकों से उन्होंने आग्रह किया —
“बच्चों की पढ़ाई सिर्फ स्कूल की नहीं, बल्कि हर पालक की जिम्मेदारी है। हम सब मिलकर ही एक पढ़ा-लिखा और सक्षम भारत बना सकते हैं।”
स्काउट गाइड अध्यक्ष येतराम साहू का प्रेरणास्पद भाषण:-
येतराम साहू ने कहा कि शाला प्रवेशोत्सव केवल बच्चों का नहीं, पूरे समाज का उत्सव है। उन्होंने कहा:
“हमारे देश में हर उत्सव की एक परंपरा है — और शाला प्रवेशोत्सव भी एक ऐसा पर्व है जो बच्चों के मन में शिक्षा के प्रति सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।”
उन्होंने शिक्षकों से अनुरोध किया कि वे बच्चों को सिर्फ पढ़ाएं ही नहीं, बल्कि उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक भी बनाएं।
शून्य ड्रॉपआउट लक्ष्य की ओर पहला कदम:-
जिला पंचायत सीईओ आलोक और डीएमसी रेखराज शर्मा ने भी बच्चों और अभिभावकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि स्कूल से बच्चों का नाम न कटे — इसके लिए समाज को एकजुट होना होगा।
उन्होंने निर्देश दिए कि स्कूलों में शैक्षणिक कैलेंडर के अनुसार गतिविधियाँ समय पर संचालित हों और बच्चों के मन में स्कूल के प्रति उत्साह बना रहे।
उत्कृष्ट छात्रों का हुआ सम्मान, मिला प्रोत्साहन:-
इस अवसर पर विगत शैक्षणिक सत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। इससे अन्य बच्चों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। तालियों की गड़गड़ाहट और मुस्कानों ने स्कूल परिसर को उत्सव में तब्दील कर दिया।
अभिभावक भी हुए भावुक, बोले — अब स्कूल जाना बनेगा बच्चों का सपना:-
कई पालकों ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से बच्चों का मन पढ़ाई में रमता है और वे स्कूल आने को लेकर उत्साहित रहते हैं। यह पहल उन्हें मोबाइल और टीवी की लत से दूर ले जाकर पढ़ाई की दुनिया में प्रवेश कराती है।
शिक्षा का पहला दिन, भविष्य की मजबूत नींव!
महासमुन्द के बेमचा की यह सुबह सिर्फ एक विद्यालय दिवस नहीं थी, यह वह क्षण था जहां मासूम चेहरों पर सपनों का पहला रंग चढ़ा। जब सरकारी योजनाएं, जनप्रतिनिधियों की संवेदनशीलता और समाज का सहयोग एकत्र होकर शिक्षा को महोत्सव में बदलते हैं — तब ही “नया भारत” आकार लेता है।
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और यही संदेश रहा इस प्रवेशोत्सव का — कि शिक्षा सिर्फ किताबों में नहीं, हर मुस्कान में है; हर शुरुआत में है और हर उस बच्चे में है, जो मोबाइल छोड़कर कक्षा में बैठा है।
अगला लक्ष्य — हर बच्चा स्कूल में, हर क्लास रौशन! क्योंकि शिक्षा ही है वो चाबी, जो हर दरवाज़ा खोलती है।