CG Suspend news “उड़नदस्ता बना ‘घोटालों का जहाज’ —उड़ गया संतुलन: “जब ‘प्रभारी’ ही बन बैठा ‘अभियोगी’ —D.E.O. की तानाशाही पर शासन ने चलाया अनुशासन का डंडा!
रायपुर/सारंगढ़-बिलाईगढ़ छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित वर्ष 2025 की हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी परीक्षाओं की पृष्ठभूमि में एक ऐसा प्रकरण सामने आया है, जिसने जिले की प्रशासनिक व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। परीक्षा केंद्रों में अनुचित साधनों की रोकथाम और समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कलेक्टर, जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ द्वारा गठित किया गया था जिला स्तरीय उड़नदस्ता दल।
लेकिन हैरानी की बात तब सामने आई जब इस उड़नदस्ता दल में बिना किसी अनुमति के मनमाने ढंग से फेरबदल कर दिया गया — और यह कार्य किया गया किसी साधारण कर्मचारी द्वारा नहीं, बल्कि खुद स्वयं एल. पी. पटेल, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी, सारंगढ़-बिलाईगढ़ द्वारा। उन्होंने न केवल कलेक्टर के आदेशों की अनदेखी की, बल्कि पूर्व प्रभारी अधिकारी को धमकी, गाली-गलौज और वेतन रोकने जैसी अन्य कार्यवाहियों से मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया।
प्रशासनिक मर्यादा की खुली अवहेलना!
एल.पी.पटेल द्वारा की गई इन कार्रवाइयों की शिकायत मिलते ही कलेक्टर ने उन्हें कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, उनके द्वारा प्रस्तुत जवाब न तो तर्कसंगत था और न ही बिल्कुल संतोषजनक। प्रशासन को गुमराह करने की उनकी यह कोशिश उन्हीं पर भारी पड़ी।
बात यहीं खत्म नहीं होती, जिस समय जिले में परीक्षाएं चल रही थीं और राज्यभर में पारदर्शिता एवं शुचिता की दुहाई दी जा रही थी, उसी समय जिले का उच्चतम शिक्षा अधिकारी अपने पद की गरिमा को तार-तार करता दिखा।
आचरण नियमों का सीधा उल्लंघन:-
एल.पी. पटेल का यह कृत्य न केवल छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 की धारा 3का उल्लंघन है, बल्कि यह स्पष्ट रूप से कदाचार की परिभाषा में आता है। शासन ने इस गंभीर अनुशासनहीनता को हल्के में नहीं लिया।
शासन का कठोर कदम: तत्काल निलंबन!
छत्तीसगढ़ राज्य शासन द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि एल. पी.पटेल को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1966 की धारा 9(1)(क) के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय शिक्षा संभाग, बिलासपुर नियत किया गया है।
इसके साथ ही, जिला रायगढ़ के जिला शिक्षा अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार देकर यह संदेश स्पष्ट कर दिया गया है कि शासन शिक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार की अराजकता बर्दाश्त नहीं करेगा।
अब जीवन निर्वाह भत्ता ही रहेगा सहारा:-
सारंगढ़-बिलाईगढ़ में निलंबन आदेश के अनुसार, एल.पी.पटेल को सेवा नियमों के तहत केवल जीवन निर्वाह भत्ता ही दिया जाएगा। जो अधिकारी पहले अपनी मर्जी से आदेशों की धज्जियां उड़ाते थे, अब उन्हें शासन की सख्ती का स्वाद चखना पड़ेगा।
शिक्षा जगत में मची हलचल:-
सारंगढ़-बिलाईगढ़ की इस पूरे घटनाक्रम ने शिक्षा विभाग में तहलका मचा दिया है। एक तरफ जहां शिक्षक और कर्मचारी अनुशासन की डोर में बंधे रहते हैं, वहीं जब उच्चाधिकारी ही सत्ता का दुरुपयोग करें, तो नीचे के कर्मचारियों में हताशा और अव्यवस्था फैलना स्वाभाविक है।
https://jantakitakat.com/2025/06/11/cg-beakingलहरौद-में-न्याय-की-चिंगा/
इस निलंबन से शासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब “पद नहीं, कर्तव्य ही असली पहचान” है। चाहे कोई कितना भी ऊंचे ओहदे पर क्यों न हो, अगर वो अपने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी से नहीं करता, तो सख्त कार्रवाई से नहीं बच सकता।
जनमानस में सवाल अब जनमानस में यह चर्चा है कि:
• क्या यह सिर्फ एक अधिकारी की मनमानी थी या शिक्षा विभाग में व्याप्त बड़ी अराजकता की एक झलक?
• क्या उड़नदस्ता वास्तव में उड़ान भरने के लिए बना था या “अपने लोगों” को सेट करने का जरिया?
• क्या ऐसे मामलों में केवल निलंबन काफी है, या गहन विभागीय जांच भी जरूरी है?
रायगढ़ कलेक्टर ने यह स्पष्ट कर दिया कि सत्ता का गलत इस्तेमाल करने वालों को शासन बख्शने वाला नहीं है। पर यह भी एक चेतावनी है कि जब उड़नदस्ता जैसे निगरानी तंत्र ही विकृत मानसिकता के शिकार हो जाएं, तो बच्चों की शिक्षा और परीक्षा प्रणाली कैसे सुरक्षित रह पाएगी?
शिक्षा केवल ज्ञान का विषय नहीं है, यह अनुशासन, नैतिकता और व्यवस्था का प्रतीक है। ऐसे में शासन को चाहिए कि वो न सिर्फ दोषियों को दंडित करे, बल्कि समस्त विभागीय प्रक्रिया की समीक्षा भी करे।