CG breaking“सात सौ ‘शिक्षक महारथी’ बेनकाब: युक्तियुक्तकरण से खुला महासमुंद शिक्षा विभाग का चौंकाने वाला राज़ – अब नहीं चलेगी ‘पहुंच’ की पंचायत!”
Mahasamund /छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शुरू की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया ने महासमुंद जिले की शिक्षा व्यवस्था में छिपे एक बड़े रहस्य से पर्दा उठा दिया है। इस प्रक्रिया के जरिए जब जिले में शिक्षकों की काउंसलिंग कराई गई, तब सामने आया कि पूरे जिले में करीब 700 शिक्षक ‘अतिशेष’ हैं। ये वे शिक्षक हैं जो वर्षों से अपनी “पहुंच” और “सिफारिश” के दम पर अपनी पसंदीदा स्कूलों में जमे हुए थे – चाहे वहां आवश्यकता हो या नहीं।
शिक्षा व्यवस्था में जड़ जमाए “आरामगाह शिक्षक”
महासमुन्द जिला में शिक्षा विभाग की छानबीन में जो सामने आया, वो बेहद चौंकाने वाला है। जिले की कई शालाओं में एकल शिक्षक कार्यरत थे, वहीं कुछ स्कूलों में 3 से 5 तक शिक्षक अतिरिक्त रूप से डटे हुए थे। खास बात ये कि कई शिक्षक अपने मूल पदस्थापन स्थलों को छोड़कर ऐसी जगहों पर अटैच रहे, जहां उन्हें सुविधा, सहूलियत और अपने ‘लोग’ मिले।
एक चौंकाने वाला उदाहरण महासमुंद के सिनोधा गांव से सामने आया। यहां की शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में पदस्थ शिक्षिका स्वाति चंद्राकर पिछले 7 वर्षों से अपने मूल पदस्थापन से दूरी बनाकर बृजराज पब्लिक स्कूल में अटैच रही। ग्रामवासियों ने दो बार ताला बंदी कर विरोध जताया, लेकिन शिक्षिका पर कोई असर नहीं हुआ – क्योंकि उसकी पहचान और पहुंच शिक्षा विभाग में गहरी थी।
गांव वालों ने उठाई थी आवाज़, लेकिन दबा दी गई:-महासमुन्द के सिनोधा ग्राम के ग्रामीणों ने बीते वर्ष स्कूल में ताला बंदी कर साफ कहा था – “हमें हमारे स्कूल में शिक्षक चाहिए, किसी की मर्जी की ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं!” ग्रामीणों ने बार-बार जिला शिक्षा अधिकारी से लिखित शिकायत की, लेकिन कार्रवाई शून्य रही। अब जबकि युक्तियुक्तकरण हुआ है, तो ऐसे दर्जनों मामले जिले भर से सामने आए हैं।
शिक्षा की लूट में लिप्त ‘सरकारी शेर’ बेनकाब!
महासमुंद जिले के बसना, सरायपाली, पिथौरा, बागबाहरा और महासमुंद ब्लॉक में सैकड़ों ऐसे शिक्षक मिले, जो या तो अनावश्यक रूप से अधिक संख्या में एक स्कूल में तैनात थे, या अनधिकृत रूप से अटैच होकर अपने मूल पदस्थानों से दूर आराम फरमा रहे थे। यह किसी संगठित साजिश से कम नहीं, जिसने वर्षों तक शिक्षा व्यवस्था को जकड़ रखा था।
• ब्लॉकवार खुलासा कुछ इस प्रकार है:
• महासमुंद ब्लॉक: 208 अतिशेष शिक्षक,
• सरायपाली ब्लॉक: 152 शिक्षक,
• पिथौरा ब्लॉक: 139 शिक्षक,
• बसना ब्लॉक: 126 शिक्षक,
• बागबाहरा ब्लॉक: 75 शिक्षक,
•युक्तियुक्तकरण बना सुधार की चाबी,
सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने कमर कसी और शिक्षकों की काउंसलिंग कर उन्हें उन स्कूलों में भेजने की प्रक्रिया शुरू की, जहां एकल शिक्षक कार्यरत थे या शिक्षक की सख्त जरूरत थी। महासमुंद जिला शिक्षा अधिकारी विजय लहरे ने स्पष्ट कहा – अब कोई स्कूल एकल शिक्षक स्कूल नहीं रहेगा।
“हमने 700 अतिशेष शिक्षकों को उनकी मूल या आवश्यक पदस्थापना स्थलों पर भेजा है। अब जिले में शिक्षा व्यवस्था पहले से कहीं ज्यादा व्यवस्थित होगी। कोई भी शिक्षक अगर लापरवाही करेगा या नियमों का उल्लंघन करेगा, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
— विजय लहरे, जिला शिक्षा अधिकारी, महासमुंद
अब ‘ताला बंदी’ नहीं, शिक्षा की अलख जगेगी:-
हर साल ग्रामीण स्कूलों में शिक्षकों की अनुपलब्धता के चलते पालकों को स्कूलों में ताला बंदी करनी पड़ती थी। यह व्यवस्था आक्रोश और असंतोष को जन्म देती थी। इस ताला बंदी के चलते कुछ अभिभावकों पर तो पुलिस FIR तक दर्ज की गई थी। लेकिन अब जिला प्रशासन का दावा है कि ऐसी नौबत फिर नहीं आएगी।
सवाल वही – अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
बड़ा सवाल यह भी है कि ये 700 शिक्षक इतने वर्षों तक अतिरिक्त क्यों बने रहे? क्या शिक्षा विभाग को इनकी संख्या का अंदाज़ा नहीं था, या जानबूझकर अनदेखा किया गया? क्या जिन अधिकारियों के समय में ये सब चलता रहा, उन पर कोई कार्रवाई होगी? क्योंकि युक्तियुक्तकरण ने केवल शिक्षकों की नहीं, शासन-प्रशासन की चूक को भी उजागर किया है।
क्या अब होगी जवाबदेही तय?
शिक्षा विभाग को अब यह भी तय करना होगा कि ऐसे शिक्षक जो सालों से सेवा से ज्यादा सिफारिश पर डटे रहे, उन पर क्या कार्रवाई होगी। और क्या भविष्य में ट्रांसफर, अटैचमेंट और पदस्थापना में पारदर्शिता लाई जाएगी? या एक बार फिर यह ‘आंधी’ गुजरने के बाद ‘सिस्टम’ पुराने ढर्रे पर लौट आएगा?
युक्तियुक्तकरण ने महासमुंद जिले में शिक्षा की नींव में लगी दीमकों को उजागर किया है।वर्षों से संलग्नीकरण करा कर बैठे शिक्षकों के ऊपर क्या जिला प्रशासन की गाज गिरेगी या सब ठंडे बस्ते में चला जायेगा?
https://jantakitakat.com/2025/06/03/cgपूछता-है-गरियाबंदशिक्षा/
ये केवल महासमुन्द जिला की बात नहीं है अगर गरियाबंद जिला के बात करे तो महासमुन्द से ज्यादा शिक्षक संलग्नीकरण करा के बैठे है कुछ महानभाव शिक्षक तो नियम विरुद्ध डीईओ एवं समग्र शिक्षा अधिकारी बने बैठे है