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September 10, 2025 6:29 pm

“17,000 करोड़ का तूफ़ान:ED के सामने पेश हुए अनिल अंबानी, बैंक धोखाधड़ी में नया धमाका!”

“17,000 करोड़ का तूफ़ान:ED के सामने पेश हुए अनिल अंबानी, बैंक धोखाधड़ी में नया धमाका!”

नई दिल्ली/देश की आर्थिक राजधानी से लेकर राजधानी दिल्ली तक एक बार फिर भूचाल आ गया है। रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी, जो कभी भारत के सबसे धनी व्यक्तियों में शुमार होते थे, आज प्रवर्तन निदेशालय  (ED)के सामने पेश हुए। मामला है—₹17,000 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी, काली पूंजी और कथित साज़िश का—जिसने पूरे कॉर्पोरेट भारत को हिला कर रख दिया है।

सवेरे 11 बजे, जब अंबानी दिल्ली के जामनगर हाउस स्थित ED ऑफिस पहुंचे, मीडिया कैमरे उनकी एक-एक झलक कैद करने को बेताब थे। सैकड़ों सवालों की गूंज के बीच 66 वर्षीय उद्योगपति बिना किसी प्रतिक्रिया के सीधे भीतर चले गए, जहां उनसे धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत पूछताछ हुई।

आरोपों की सुनामी: ₹17,000 करोड़ की ‘लूट’?ED की जांच के मुताबिक, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (R Infra) और उसकी सहयोगी कंपनियों ने देश के कई बैंकों से मिले लोन को गलत ढंग से “डायवर्ट” किया।
Yes Bank के जरिए 2017-2019 के बीच ₹3,000 करोड़ के कर्ज को जिस तरह गुमराह कर इस्तेमाल किया गया, उसने जांच एजेंसियों को चौंका दिया है।

सूत्रों के अनुसार, यह मामला सिर्फ “गलत वित्तीय निर्णय” का नहीं, बल्कि “पूर्व नियोजित, सुनियोजित वित्तीय साज़िश” का प्रतीक है। यह भी कहा जा रहा है कि Yes Bank के प्रमोटरों को रिश्वत के रूप में मोटी रकम मिली—तभी यह लोन पास हुआ।

‘शेल कंपनियों’ का मायाजाल: असली से नकली तक का सफर!
जांच में यह भी सामने आया है कि लोन की रकम को बड़ी चालाकी से शेल कंपनियों (बोगस कंपनियों) के ज़रिए घुमाया गया। कई कंपनियों के डायरेक्टर और पते एक जैसे पाए गए—जैसे यह पूरा एक “कॉर्पोरेट क्लोनिंग” का मामला हो।

R Infra पर एक गंभीर आरोप यह भी है कि उसने अपनी सहयोगी कंपनी CLE को “इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉज़िट” के नाम पर फंड ट्रांसफर किया, लेकिन CLE को “रिलेटेड पार्टी” के रूप में डिस्क्लोज़ नहीं किया गया—जिससे शेयरधारकों की मंजूरी से बचा गया।

SEBI, NHB और CBI की एंट्री: जांच में आ गया भूचाल!
इस केस की जड़ें केवल ED तक सीमित नहीं। SEBI, नेशनल हाउसिंग बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और CBI तक इस मामले में सक्रिय हो चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, दो अलग-अलग FIRs के आधार पर प्रारंभिक जांच हुई, जिसके बाद 24 जुलाई को मुंबई में 35 ठिकानों पर छापेमारी की गई। इसमें 50 कंपनियां और 25 व्यक्ति शामिल थे।

RCOM पर SBI का ‘फ्रॉड’ टैग, CBI की तैयारी
सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि State Bank of India ने RCOM और अनिल अंबानी को “फ्रॉड” घोषित कर दिया है और जल्द ही CBI में शिकायत दर्ज कराने जा रही है।
इसके अलावा, Canara Bank से जुड़े ₹1,050 करोड़ के एक और घोटाले की जांच ED कर रही है, जिसमें विदेशी बैंक खातों और संपत्तियों का भी जिक्र है।

AT-1 बॉन्ड घोटाला: ‘क्विड-प्रो-क्वो’ का संदेह!
एक और चौंकाने वाला पहलू यह है कि Reliance Mutual Fund ने ₹2,850 करोड़ की बड़ी राशि AT-1 बॉन्ड्स में इन्वेस्ट की, जिसे लेकर ED को “quid pro quo” यानी लेन-देन की साज़िश का शक है।

ये बॉन्ड्स सामान्य बॉन्ड्स से कहीं अधिक जोखिम वाले होते हैं और बड़े पैमाने पर निवेश, वह भी बिना उचित ड्यू डिलिजेंस के, एक बार फिर ‘संदेह के घेरे’ में है।

रिलायंस की प्रतिक्रिया: “कुछ नहीं छुपाया गया”
रिलायंस ग्रुप की ओर से जारी बयान में आरोपों को “पुराना और भ्रामक” बताया गया है। उन्होंने कहा,

“यह मामला लगभग 10 साल पुराना है, और ₹10,000 करोड़ की बात भ्रामक है। हमने वित्तीय विवरणों में अपनी एक्सपोज़र स्पष्ट रूप से ₹6,500 करोड़ बताई है।”

साथ ही यह भी कहा गया कि अनिल अंबानी मार्च 2022 से R Infra के बोर्ड में नहीं हैं और Bombay High Court में एक सेटलमेंट फाइल भी किया गया है।

अब आगे क्या?
इस प्रकरण ने यह सवाल खड़ा कर दिया है—क्या देश की सबसे बड़ी बिजनेस हस्तियों में शामिल व्यक्ति भी अब कानून के शिकंजे में पूरी तरह आ चुके हैं?
क्या यह कॉर्पोरेट भारत के “लापरवाह कर्ज संस्कृति” का अंत होगा?

ED की अगली कार्रवाई और पूछताछ की रिपोर्ट आने के बाद देश को मिलने वाली हकीकत की झलक और गहरी हो सकती है।

एक उद्योगपति, कई कंपनियां, हजारों करोड़ और देश का भरोसा दांव पर—क्या अब कोई बच पाएगा? या फिर आर्थिक घोटालों के इस अंधेरे से निकलेगा न्याय का उजाला?

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