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September 10, 2025 7:54 am

“रजत जयंती पर ज्ञान का महाकुंभ:ऑनलाइन क्विज़ प्रतियोगिता में छात्राओं ने दिखाया उत्साह – ई-सर्टिफिकेट से बढ़ा मनोबल”!

“रजत जयंती पर ज्ञान का महाकुंभ:ऑनलाइन क्विज़ प्रतियोगिता में छात्राओं ने दिखाया उत्साह – ई-सर्टिफिकेट से बढ़ा मनोबल”!

Mahasamund/छत्तीसगढ़ राज्य की रजत जयंती के शुभ अवसर पर रविवार की शाम एक अनोखा और ऐतिहासिक आयोजन हुआ। जहां आमतौर पर जयंती के मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और सरकारी आयोजन देखे जाते हैं, वहीं इस बार ग्रंथालय विभाग ने एक नया अध्याय लिखते हुए ज्ञान के उत्सव का शंखनाद किया। आधुनिक युग की तकनीक को अपनाते हुए विभाग ने ऑनलाइन क्विज़ प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसने न केवल छात्राओं के उत्साह को परवान चढ़ाया, बल्कि पूरे शैक्षणिक जगत में चर्चा का विषय भी बना दिया।

आयोजन की तिथि – 07 सितंबर 2025: समय – शाम 07:00 बजे!

शाम का सात बजते ही मानो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ज्ञान का संग्राम छिड़ गया। महाविद्यालय की छात्राएँ अपने-अपने मोबाइल और लैपटॉप के माध्यम से प्रतियोगिता से जुड़ीं। वातावरण ऐसा था मानो किताबों के पन्ने डिजिटल स्क्रीन पर जीवंत होकर चमक उठे हों।

ग्रंथपाल की पहल – ज्ञान का दीप प्रज्वलित!
इस विशेष आयोजन की आधारशिला रखी ग्रंथपाल अजय श्रीवास ने। उन्होंने लाइब्रेरी ब्लॉग पर छत्तीसगढ़ राज्य के इतिहास, संस्कृति, लोककला, साहित्य और विकास यात्रा से जुड़ी ज्ञानवर्धक सामग्री प्रसारित की। यह सामग्री किसी साधारण लेख की तरह नहीं थी, बल्कि राज्य के गौरवपूर्ण 25 वर्षों की यात्रा का जीवंत दस्तावेज थी।

जैसे ही सामग्री प्रकाशित हुई, छात्राओं में उत्सुकता की लहर दौड़ गई। हर कोई इसे ध्यानपूर्वक पढ़ने और समझने में जुट गया, क्योंकि उन्हें भली-भांति पता था कि यही जानकारी आगे होने वाली क्विज़ प्रतियोगिता में उनकी जीत का आधार बनेगी।

प्रतियोगिता की शुरुआत – ज्ञान का रणक्षेत्र!
निर्धारित समय पर ऑनलाइन प्रतियोगिता का आगाज हुआ। स्क्रीन पर एक-एक कर बहुविकल्पीय प्रश्न सामने आने लगे। प्रश्न सरल भी थे और पेचीदा भी – कहीं छत्तीसगढ़ के गठन की तिथि पर सवाल उठे तो कहीं राज्य की लोककलाओं की गहराई पर।

छात्राएँ अपनी कुर्सियों पर टिकीं, उंगलियाँ कीबोर्ड पर दौड़ती रहीं और चेहरों पर आत्मविश्वास की चमक साफ झलक रही थी। ऐसा लग रहा था मानो हर प्रतिभागी इस ज्ञान-युद्ध की विजेता बनना चाहती हो।

उत्साह और जोश – छात्राओं की चमकती भागीदारी!
प्रतियोगिता में महाविद्यालय की छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। किसी ने राज्य के पर्यटन स्थलों पर सवालों के सही जवाब दिए तो किसी ने प्रशासनिक व्यवस्था पर अपनी पकड़ साबित की। यह केवल प्रतियोगिता नहीं थी, बल्कि यह एक “ज्ञान पर्व” था, जिसमें हर प्रतिभागी छत्तीसगढ़ की रजत जयंती का गर्व महसूस कर रही थी।

प्रतियोगिता संपन्न होते ही छात्राओं के चेहरों पर मुस्कान और आत्मसंतोष दोनों थे। जिन्होंने अधिक प्रश्न सही किए, वे विजयी होने की खुशी में झूम उठीं, वहीं अन्य छात्राओं ने भी इसे एक नया अनुभव मानकर अपने ज्ञान भंडार में वृद्धि पाई।

ई-सर्टिफिकेट – डिजिटल सम्मान का प्रतीक!
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को उनके ईमेल आईडी पर ई-सर्टिफिकेट भेजे गए। जैसे ही छात्राओं के इनबॉक्स में यह प्रमाणपत्र पहुँचा, उत्साह दोगुना हो गया।डिजिटल युग में यह ई-सर्टिफिकेट सिर्फ कागज़ का टुकड़ा नहीं था, बल्कि उनकी मेहनत, लगन और राज्य के गौरव में उनकी भागीदारी का जीवंत प्रमाण था।

प्राचार्य का मार्गदर्शन – सफलता की कुंजी!
इस भव्य आयोजन की सफलता में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस. बी. कुमार का मार्गदर्शन सबसे अहम साबित हुआ। उन्होंने न केवल कार्यक्रम की दिशा तय की, बल्कि छात्राओं और विभागीय कर्मचारियों को निरंतर प्रेरित भी किया।
डॉ. कुमार ने कहा –
“छत्तीसगढ़ की रजत जयंती पर छात्राओं द्वारा ज्ञान प्रतियोगिता में भाग लेना हमारे राज्य की प्रगति का प्रतीक है। यह आयोजन बताता है कि नई पीढ़ी न केवल तकनीक में दक्ष है बल्कि अपने राज्य के इतिहास और संस्कृति के प्रति भी जागरूक है।”

सामूहिक प्रयास – सफलता की कहानी!
प्रतियोगिता की सफलता केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे महाविद्यालय परिवार के सामूहिक प्रयास की कहानी थी। अधिकारी, कर्मचारी और सहयोगी जन सभी ने इस आयोजन को यादगार बनाने में अपना योगदान दिया। तकनीकी सहयोग से लेकर छात्राओं को समय पर जानकारी देने तक, हर कदम पर टीमवर्क झलकता रहा।

ज्ञान उत्सव की अनूठी मिसाल!
छत्तीसगढ़ राज्य की रजत जयंती पर आयोजित यह ऑनलाइन क्विज़ प्रतियोगिता केवल एक शैक्षणिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायी संदेश था –
कि उत्सव केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि ज्ञान और संस्कृति के संवहन का भी अवसर हो सकता है।इस अनूठे आयोजन ने साबित कर दिया कि डिजिटल युग में भी पुस्तकों की महक और ज्ञान की रोशनी कभी फीकी नहीं पड़ती। बल्कि तकनीक के सहारे यह और भी दूर तक पहुँच सकती है।

महाविद्यालय की छात्राओं ने जिस उत्साह और समर्पण के साथ भाग लिया, उसने इस प्रतियोगिता को इतिहास के पन्नों में दर्ज कर दिया।निस्संदेह, यह आयोजन आने वाले वर्षों में अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए भी एक आदर्श बनकर उभरेगा।

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