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October 16, 2025 11:16 pm

“महासमुंद से गूंजा क्वांटम युग का शंखनाद – बिट्स से क्यूबिट्स तक का रोमांचक सफर”!

“महासमुंद से गूंजा क्वांटम युग का शंखनाद – बिट्स से क्यूबिट्स तक का रोमांचक सफर”!

Mahasamund /शासकीय माता कर्मा कन्या महाविद्यालय का वातावरण 19 सितम्बर 2025 की संध्या को इतिहास रचने वाले क्षणों का साक्षी बना। ग्रंथालय विभाग एवं राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय क्लब (एनडीएलआई क्लब) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विशेष वैश्विक कार्यक्रम ने छात्राओं को तकनीकी क्रांति के एक नए द्वार – क्वांटम युग – से रूबरू कराया।

सायं 5 बजे यूट्यूब माध्यम से प्रसारित इस आयोजन का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस. बी. कुमार के उद्बोधन से हुआ। उन्होंने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा – “भविष्य की शिक्षा और तकनीक का आधार क्वांटम शोध होगा। यह समय की मांग है कि हमारी छात्राएं इस दिशा में अग्रसर होकर अवसरों का लाभ उठाएं।”

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अभिजीत रॉय, अतिथि प्राध्यापक प्रैक्ज़िस प्रौद्योगिकी संस्थान, ने जब मंच संभाला तो पूरा माहौल रोमांचित हो उठा। उन्होंने सरल भाषा में क्वांटम कम्प्यूटिंग की गहराई समझाते हुए बताया कि बिट्स और क्यूबिट्स का अंतर ही भविष्य की तकनीक को आमूलचूल रूप से बदल देगा। उन्होंने कहा कि क्वांटम तकनीक स्वास्थ्य, अंतरिक्ष, रक्षा और शिक्षा सभी क्षेत्रों में अप्रत्याशित क्रांति लाने वाली है।

इस महाकाय आयोजन का संचालन अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शिक्षाविद सुजाता रॉय ने किया, जो व्हील्स वैश्विक संस्था की अध्यक्ष और आईआईटी खड़गपुर व भारतीय सांख्यिकी संस्थान की गौरवशाली पूर्व छात्रा हैं। पूर्व में आईबीएम की महाप्रबंधक रह चुकीं सुजाता रॉय ने अपने अनुभव और तेजस्वी शब्दों से कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया।

इस भव्य आयोजन के पीछे कई अदृश्य हाथ भी सक्रिय रहे। डॉ. मनोज कुमार शर्मा, ओंकार साहू एवं  वंदना यादव ने एनडीएलआई क्लब की ओर से न केवल योजना बल्कि क्रियान्वयन में भी अहम योगदान दिया। वहीं, तकनीकी संचालन की धुरी बने ग्रंथपाल अजय कुमार श्रीवास, जिनके अथक प्रयास और कुशल मार्गदर्शन से यह कार्यक्रम निर्बाध रूप से दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचा।

कार्यक्रम के दौरान छात्राओं की उत्सुकता देखने लायक थी। यूट्यूब पर प्रसारण के दौरान लगातार प्रश्न, टिप्पणियाँ और प्रतिक्रियाएँ आती रहीं। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो महासमुंद की धरती से उठी यह गूंज अब वैश्विक मंच पर तकनीकी क्रांति का बिगुल बजा रही है।

यह आयोजन न केवल ज्ञानवर्धक सिद्ध हुआ बल्कि छात्राओं में नवाचार और शोध की नई ज्वाला भी प्रज्वलित कर गया। महाविद्यालय के इतिहास में यह दिन स्वर्णाक्षरों से अंकित होगा क्योंकि यहीं से क्वांटम युग का शंखनाद हुआ—एक ऐसा युग जो बिट्स से क्यूबिट्स तक की यात्रा को संभव बनाकर आने वाली पीढ़ियों को नई दिशा देगा।

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