“महासमुंद भर्ती घोटाला: नियमों को ताक पर रखकर उपसंचालक ने रची साजिश, बेरोज़गार युवाओं के सपनों पर चला गड़बड़ी का बुलडोज़र”
Mahasamund/छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में राष्ट्रीय ग्राम स्वराज्य अभियान योजना के अंतर्गत भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी का एक बड़ा मामला सामने आया है। यह मामला न केवल बेरोज़गार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ का प्रतीक बन गया है, बल्कि यह भी साबित करता है कि अफसरशाही के दुरुपयोग से कैसे योग्य उम्मीदवारों को किनारे कर दिया जाता है और चहेतों को नियम तोड़कर लाभ पहुंचाया जाता है।
विज्ञापन जारी होने की तारीख!
संचालक, पंचायत संचालनालय नया रायपुर अटल नगर रायपुर के पत्र क्रमांक पंचा/ RGSA/ 144B/ 2025/771 अटल नगर, नवा रायपुर दिनांक 20.03.2025 के परिपालन में कार्यालयीन पत्र क्रमांक/2378/पंचा./आरजीएसए/2025-26 महासमुन्द दिनांक 09.04.2025 के द्वारा राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान योजनान्तर्गत जिला पंचायत संसाधन केन्द्र में जिला स्तर के स्वीकृत रिक्त 03 पद (जिला समन्वयक 01. संकाय सदस्य 01, लेखापाल 01 पद) के भर्ती हेतु प्राप्त दावा-आपत्ति का चयन समिति द्वारा निराकरण उपरांत, दावा-आपत्ति निराकरण सूची, अंतिम प्रात्र/अपात्र सूची, मेरिट सूची, जिला पंचायत, महासमुन्द के सूचना पटल एवं जिला में दिनांक 19.06.2025 को प्रकाशित किया गया था, जिसका दस्तावेज सत्यापन / कौशल परीक्षा दिनांक 18.08.2025 को प्रातः 11:00 बजे जिला महासमुन्द में आयोजित किया गया है। जिसका प्रवेश पत्र प्रारूप जिले की वेबसाईट पर डाले गये है।
भर्ती का विज्ञापन और युवाओं के सपनों का खेल!
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज्य अभियान योजना के अंतर्गत जिला पंचायत द्वारा तीन प्रमुख पदों – जिला परियोजना समन्वयक, संकाय सदस्य और लेखपाल – के लिए विज्ञापन जारी किया गया। आवेदन की प्रक्रिया पूरी हुई, सैकड़ों युवाओं ने उम्मीदों के साथ अपने फॉर्म भरे। सबको लगा कि अब उनकी मेहनत का सही मूल्यांकन होगा। लेकिन, हकीकत कुछ और ही थी।
सूत्रों की माने तो भर्ती प्रक्रिया में तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी और उपसंचालक दीप्ति साहू की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। आरोप है कि उन्होंने नियमों की अनदेखी करते हुए पात्र अभ्यर्थियों को अपात्र घोषित कर दिया और अपने करीबी अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचाया।
मुख्यमंत्री के आदेश की खुली अवहेलना!
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि आयु सीमा को लेकर नियमों का पालन सख्ती से किया जाए।
• सामान्य वर्ग: 40 वर्ष तक,
• अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC): 45 वर्ष तक,
• अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST): 45 वर्ष तक,
लेकिन उपसंचालक दीप्ति साहू ने इन आदेशों को दरकिनार कर दिया। योग्य उम्मीदवारों को उम्र और अनुभव का हवाला देकर बाहर कर दिया गया।और विज्ञापन में सामान्य 35 वर्ष और (ST/SC)उम्र 38 वर्ष रखी गई जोकि सामान्य प्रशासन के नियम विरुद्ध है ऐसा लगता है उप संचालक दीप्ति साहू आपने नियम कायदे चलाती है विज्ञापन में त्रुटि होने के बाद भी सुधार नहीं किया गया।
योग्य उम्मीदवारों को अपात्र करने का खेल!
• प्रकाश दुबे: इन्हें अनुभवहीन बताकर अपात्र किया गया। आरोप यह भी कि उनके पास टैली का प्रमाण पत्र नहीं है, जबकि प्रकाश दुबे पहले से विभाग में प्रधान मंत्री आवास योजना और पूर्व में शासकीय कॉलेज लाईव ली हुड में लेखपाल के पद पर कार्ययत रहे है फिर भी उनको पात्र उम्मीदवार में शामिल नहीं किया गया। यह एक सुनियोजित चाल का हिस्सा है जो प्रकाश दुबे जैसे योग्य आवेदक को बाहर का रास्ता दिखाया गया।
• मनोज सोनी: जो 15 वर्षों से जिला पंचायत में सेवा दे रहे हैं, उन्हें मात्र इस आधार पर अपात्र कर दिया गया कि उनके आवेदन पत्र के साथ 20 रुपए का टिकट नहीं चिपकाया गया। यह कारण सुनकर अभ्यर्थियों के बीच आक्रोश फैल गया।
चहेतों को फायदा, बेरोज़गारों से छल!
योग्य अभ्यर्थियों को अपात्र करने के बाद उपसंचालक दीप्ति साहू ने अपने नजदीकी उम्मीदवारों को पात्र घोषित किया।
• स्मृति शर्मा: जिनकी बहन समृद्धि शर्मा जो संकाय सदस्य जनपद महासमुंद में पद पदस्थ है एवं जिनकी संलिप्त शासन की महत्वपूर्ण योजना 15 वित्त आयोग के 39 लाख रुपए के गबन के मामले में संलिप्त पाई गई थी। दोषी साबित होने के बावजूद तत्कालीन सीईओ एस. आलोक ने उन्हें संरक्षण दिया, जिससे आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। आश्चर्यजनक रूप से स्मृति शर्मा पात्र घोषित कर दी गईं। स्मृति शर्मा लेखपाल के पद पर बैंक स्टेटमेंट एवं पेय स्लिप आवेदन पत्र के साथ संलग्न नहीं होने के कारण अपात्र घोषित की गई थी लेकिन उप संचालक दीप्ति साहू द्वारा जारी नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया है कि दावा आपत्ति में किसी भी प्रकार का शैक्षिक योग्यता, अनुभव प्रमाण पत्र या अन्य प्रमाण पत्र/दस्तावेज संलग्न किये जाने पर मान्य नहीं किया जाएगा के बावजूद भी स्मृति शर्मा द्वारा दावा आपत्ति उपरांत बैंक स्टेटमेंट एवं पेय स्लिप संलग्न किया जाता है कार्यालय द्वारा नियम विरुद्ध संबंधित अभ्यार्थी को नियम विरुद्ध पात्र की श्रेणी में घोषित किया जाता है जोकि तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी एस. आलोक के चाहते को लाभ दिया जाने का ताजा उदाहरण है। वही समृद्धि शर्मा दोषी होने के बाद भी जिला समन्वयक प्रबंधक पद पर पात्र घोषित हो गई है।
•टेशू लता ध्रुव: विज्ञापन की तिथि पर उनका रोज़गार पंजीयन मृत (expire) हो चुका था। बाद में अप्रैल माह का पंजीयन दाखिल कर पात्रता हासिल की। इसके बावजूद उन्हें चयन सूची में जगह दे दी गई।
भर्ती प्रक्रिया पर उठ रहे गंभीर सवाल!
इन घटनाओं के बाद महासमुंद जिले के बेरोज़गार युवाओं ने आवाज़ बुलंद करना शुरू कर दिया है। उनका आरोप है कि यह भर्ती प्रक्रिया एक सुनियोजित घोटाला है।
• नियमों का उल्लंघन कर योग्य उम्मीदवारों को बाहर किया गया।
• चहेतों और सिफारिश वालों को लाभ पहुंचाया गया।
• मुख्यमंत्री के आदेशों की खुलेआम अवहेलना की गई।
कलेक्टर से उच्च स्तरीय जांच की मांग!
जिला कलेक्टर से मांग की जा रही है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच टीम गठित की जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। बेरोज़गार युवाओं का कहना है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती और दोषियों को सज़ा नहीं मिलती, वे शांत बैठने वाले नहीं हैं।
राजनीतिक गलियारों में भी हलचल!
इस भर्ती घोटाले ने न केवल युवाओं के बीच आक्रोश पैदा किया है, बल्कि राजनीतिक हलचल भी मचा दी है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार के अफसर मुख्यमंत्री के आदेशों को भी ताक पर रखकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। यह मामला आने वाले दिनों में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।
युवाओं की उम्मीदों पर पानी!
महासमुंद के सैकड़ों बेरोज़गार युवक-युवतियां इस भर्ती से उम्मीद लगाए बैठे थे। कई अभ्यर्थियों ने सालों मेहनत करके पढ़ाई की, कंप्यूटर कोर्स किए, अनुभव हासिल किया। लेकिन गड़बड़ियों ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया।
युवाओं का कहना है कि अगर इसी तरह अफसरशाही अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए नियम तोड़ेगी, तो पढ़ाई-लिखाई और योग्यता का क्या महत्व रह जाएगा?
भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल!
महासमुंद की यह घटना केवल एक जिला विशेष का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रदेश की भर्ती व्यवस्थाओं पर सवाल उठाती है। अगर जांच निष्पक्ष हुई और दोषी पकड़े गए तो यह भविष्य के लिए एक मिसाल होगी। लेकिन यदि मामले को दबा दिया गया, तो यह आने वाले समय में भ्रष्टाचार को और बढ़ावा देगा।
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज्य अभियान योजना की यह भर्ती प्रक्रिया, जिस पर युवाओं ने विश्वास जताया था, आज अविश्वास और गुस्से में बदल चुकी है। उपसंचालक दीप्ति साहू पर लगे आरोप केवल व्यक्तिगत नहीं हैं, बल्कि यह पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा करते हैं।
जिला कलेक्टर और राज्य सरकार के लिए अब यह परीक्षा की घड़ी है। क्या बेरोज़गार युवाओं के हक़ की रक्षा होगी? क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी? या फिर यह मामला भी “कागज़ों में दबकर” रह जाएगा?
फिलहाल, महासमुंद के युवाओं की आंखों में यही सवाल है –
“क्या न्याय मिलेगा या फिर भर्ती का यह खेल भविष्य को तबाह करता रहेगा?”
क्या जिला प्रशासन इस भर्ती प्रक्रिया को गंभीरता से लेगा या फिर ठंडे बस्ते में चला जाएगा?