महासमुंद जिला अस्पताल में चमत्कारिक सर्जरी – डॉक्टरों ने 3 किलो का दुर्लभ ग्रीवा फाइब्रॉएड हटाकर रचा कीर्तिमान!
Mahasamund /19 सितंबर की तारीख जिले के चिकित्सा इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी। जिला अस्पताल महासमुंद के एनेस्थीसिया विभाग और स्त्री रोग विशेषज्ञों की टीम ने असंभव को संभव कर दिखाया। एक 50 वर्षीय हृदय रोगी महिला के गर्भाशय से 3 किलोग्राम वजनी विशाल ग्रीवा फाइब्रॉएड (Cervical Fibroid) को सफलतापूर्वक निकालकर न केवल चिकित्सकीय चमत्कार रचा बल्कि यह भी साबित कर दिया कि जिला अस्पताल अब जटिल और जीवनरक्षक ऑपरेशनों में किसी बड़े मेडिकल कॉलेज से कम नहीं है।
दर्द और खतरे के साए में जी रही थी मरीज!
रोगी भारतमती सिदार लंबे समय से पेट में भारीपन, लगातार दर्द और गांठ जैसी समस्या से जूझ रही थीं। हालात ऐसे हो गए थे कि सामान्य जीवन जीना भी दूभर हो गया। जब वे ओपीडी में पहुंचीं, तब जांच में पाया गया कि गर्भाशय का आकार 30 सप्ताह के गर्भ जैसा हो चुका है। यही नहीं, मरीज हृदय रोग से भी पीड़ित थीं—ट्राइकसपिड रेगर्जिटेशन और माइट्रल रेगर्जिटेशन जैसी गंभीर समस्याओं के साथ। यानी ऑपरेशन के दौरान जरा सी लापरवाही मरीज की जान ले सकती थी।
ग्रीवा फाइब्रॉएड: दुर्लभ और खतरनाक स्थिति!
फाइब्रॉएड सामान्यतः गर्भाशय की चिकनी मांसपेशियों में होने वाली वृद्धि होती है, जो कैंसरकारी नहीं होती। लेकिन ग्रीवा फाइब्रॉएड, जो गर्भाशय के निचले हिस्से में बनता है, बेहद दुर्लभ और जटिल माना जाता है। इसके लक्षण – भारी मासिक धर्म रक्तस्राव, असहनीय दर्द, बार-बार पेशाब लगना, यौन क्रिया में कठिनाई और मूत्र पथ में रुकावट – मरीज के जीवन को भयावह बना देते हैं। भारतमती के मामले में यह स्थिति और भी जटिल हो गई थी क्योंकि हृदय की कमजोरी ने खतरे को कई गुना बढ़ा दिया था।
मौत और जीवन के बीच बंधी उम्मीद!
ऑपरेशन से पहले पूरी टीम ने गहन जांच और योजना बनाई। डॉक्टरों को पता था कि यह केवल एक सर्जरी नहीं, बल्कि मौत और जीवन के बीच की जंग है। एनेस्थीसिया विभाग की जिम्मेदारी सबसे कठिन थी क्योंकि हृदय रोगी को ऑपरेशन के दौरान संवेदनहीन करना और उनकी धड़कनों को नियंत्रित रखना किसी भी हाल में आसान नहीं था।
वह ऐतिहासिक दिन – 19 सितंबर!
सर्जरी का नेतृत्व स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. नेहा ठाकुर ने किया। उनके साथ डॉ. प्रतिमा कोश्वरा, डॉ. महेंद्र ध्रुवे और डॉ. जूली ने टीम बनाकर यह असंभव कार्य अपने हाथों में लिया।ऑपरेशन थिएटर में नर्सिंग स्टाफ – पूजा और तृप्ति – ने मोर्चा संभाला, जबकि एनेस्थीसिया विभाग की रीढ़ बने डॉ. चंद्रपाल भगत और डॉ. विवेक ने मरीज की नाजुक स्थिति पर लगातार नजर रखी।कई घंटे तक चले इस रोमांचकारी ऑपरेशन में अंततः 3 किलोग्राम का विशाल ग्रीवा फाइब्रॉएड सफलतापूर्वक हटा दिया गया। जब डॉक्टरों ने ऑपरेशन टेबल से यह ट्यूमर बाहर निकाला तो पूरा ओटी तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
मरीज को मिली नई जिंदगी!
ऑपरेशन के बाद मरीज! भारतमती सिदार सुरक्षित और स्थिर हैं। डॉक्टरों ने बताया कि अब वे धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर लौट सकेंगी। उनके चेहरे पर आई मुस्कान न केवल उनके परिवार के लिए राहत है बल्कि पूरे जिले के लिए गर्व का विषय है।
एनेस्थीसिया विभाग को बधाई!
इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी चुनौती थी मरीज का हृदय रोग। एनेस्थीसिया विभाग ने इस कठिन जिम्मेदारी को जिस तरह निभाया, उसकी सराहना हर स्तर पर की जा रही है। जीवन-मृत्यु की इस खतरनाक स्थिति में मरीज को बेहोश रखना और फिर सुरक्षित जीवन लौटाना किसी चमत्कार से कम नहीं।
महासमुंद जिला अस्पताल की बढ़ी प्रतिष्ठा!
जहां लोग अक्सर जटिल सर्जरी के लिए राजधानी रायपुर या बड़े निजी अस्पतालों का रुख करते हैं, वहीं महासमुंद जिला अस्पताल ने यह साबित कर दिया कि यहां भी विशेषज्ञों की टीम, आधुनिक तकनीक और हिम्मत मौजूद है। इस सफलता से जिले के स्वास्थ्य ढांचे की प्रतिष्ठा कई गुना बढ़ गई है।
जिले के लिए प्रेरणा, डॉक्टरों के लिए मिसाल!
यह सर्जरी न केवल मरीज की जिंदगी बचाने का उदाहरण है बल्कि यह संदेश भी देती है कि यदि टीम भावना, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और साहस हो तो असंभव कुछ भी नहीं।डॉ. नेहा ठाकुर और उनकी टीम ने यह दिखा दिया कि जिला स्तर पर भी असाधारण उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं।
19 सितंबर को महासमुंद जिला अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में हुआ यह चमत्कार जिले के लिए इतिहास बन गया। एक हृदय रोगी महिला के शरीर से 3 किलोग्राम का ग्रीवा फाइब्रॉएड निकालना केवल एक सर्जरी नहीं, बल्कि जीवनदान है।डॉक्टरों की यह उपलब्धि आने वाले समय में सैकड़ों मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण बनेगी और यह संदेश देती रहेगी कि जहां इच्छाशक्ति है, वहां असंभव भी संभव है।