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September 10, 2025 3:52 pm

निलंबित सचिव, गंदगी का राज और कलेक्टर का कड़ा संदेश:लोरमी की पंचायत में लापरवाही की परतें खुलीं, आयुष्मान कार्ड शिविर में अव्यवस्था पर तुरंत कार्रवाई!

निलंबित सचिव, गंदगी का राज और कलेक्टर का कड़ा संदेश:लोरमी की पंचायत में लापरवाही की परतें खुलीं, आयुष्मान कार्ड शिविर में अव्यवस्था पर तुरंत कार्रवाई!

मुंगेली/छत्तीसगढ़ सचिव निलंबित “स्वच्छता में लापरवाही बर्दाश्त नहीं”—यह संदेश तब और मजबूत हुआ जब मुंगेली जिले के कलेक्टर  कुन्दन कुमार ने लोरमी विकासखंड की ग्राम पंचायत दरवाजा में हुए निरीक्षण के बाद तत्काल प्रभाव से पंचायत सचिव को निलंबित कर दिया। सचिव होरीलाल साहू पर गंभीर लापरवाही का आरोप है, जिसकी पुष्टि कलेक्टर के औचक निरीक्षण में हुई। अब उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू हो गई है।

शिविर की आड़ में गंदगी का अंबार:- दरअसल, पंचायत भवन में आयुष्मान भारत महाभियान के अंतर्गत आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे थे। इस महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य अभियान के दौरान कलेक्टर ने अचानक पंचायत भवन का दौरा किया। लेकिन जो दृश्य सामने आया, वह चौंकाने वाला था—चारों ओर गंदगी, गंदे शौचालय, टूटी कुर्सियाँ और मूलभूत सुविधाओं की कमी। यह सब उस वक्त जब गाँव के सैकड़ों लोग स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ लेने पंचायत भवन पहुँचे थे।

विकास के सपनों को साकार करने की जिम्मेदारी जिन हाथों में थी, वही हाथ अब लापरवाही की गवाही दे रहे हैं। लोरमी की एक पंचायत में आयोजित आयुष्मान कार्ड शिविर में जब कलेक्टर अचानक पहुंचे, तो उन्हें जो दृश्य दिखा, वह प्रशासनिक उदासीनता की कहानी बयां कर रहा था। शिविर में गंदगी पसरी थी, पंखे बंद थे, मरीजों को बैठने की जगह तक नसीब नहीं थी।

कलेक्टर ने जैसे ही यह अव्यवस्था देखी, तुरंत कड़ा संदेश देते हुए पंचायत सचिव को निलंबित कर दिया। वहां मौजूद स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को भी फटकार पड़ी। कलेक्टर ने कहा, “जनहित के काम में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो जिम्मेदार हैं, उन्हें जवाब देना ही होगा।”

स्थानीय लोग पहले ही इस पंचायत की कार्यशैली से नाराज थे। कई महीनों से पेयजल, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर शिकायतें सामने आ रही थीं, लेकिन अब जब उच्च अधिकारी खुद मौके पर पहुंचे, तो सच्चाई सामने आ गई।

इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद पूरे ब्लॉक में हड़कंप मच गया है। अन्य पंचायतों में भी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश जारी हो चुके हैं। सवाल यह भी उठता है—क्या केवल निलंबन से बदलाव आएगा, या ज़रूरत है एक स्थायी सुधार

कलेक्टर के तीखे तेवर:- निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा,
“ग्राम पंचायतें शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन की रीढ़ हैं। यदि यहां लापरवाही होगी, तो योजनाओं की सफलता संदिग्ध हो जाएगी।”

उन्होंने सचिव की जिम्मेदारी तय करते हुए फौरन कार्रवाई के निर्देश दिए।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी  प्रभाकर पाण्डेय ने तत्परता दिखाते हुए सचिव को तत्काल निलंबित कर आदेश जारी कर दिया।

स्वच्छ भारत मिशन की उड़ती धज्जियाँ:- स्वच्छ भारत मिशन को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें लगातार प्रयासरत हैं। लेकिन दरवाजा पंचायत का दृश्य बताता है कि कुछ जिम्मेदार अधिकारी इस मिशन की गंभीरता को समझने को तैयार नहीं हैं। कलेक्टर ने सख्त शब्दों में कहा,
“ग्राम पंचायतों में स्वच्छता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। सचिवों को हर हाल में यह सुनिश्चित करना होगा कि पंचायत भवन स्वच्छ, सुव्यवस्थित और जनहित के अनुकूल हो।”

ग्रामीणों में रोष और निराशा:- निरीक्षण के दौरान मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत भवन की यह स्थिति कोई नई नहीं है। महीनों से सफाई नहीं हुई थी और शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं होती। एक ग्रामीण महिला ने बताया,
“हम अपने बच्चों को साथ लेकर शिविर में आए थे, लेकिन बैठने तक की जगह नहीं थी, शौचालय गंदे और पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं था।”

अब बाकी सचिवों पर भी निगाह:- जिला प्रशासन की यह कार्रवाई केवल एक पंचायत सचिव तक सीमित नहीं रहने वाली। सूत्रों के मुताबिक अब अन्य पंचायतों में भी औचक निरीक्षण होंगे और यदि कहीं लापरवाही पाई गई, तो वहां भी कार्रवाई होगी।

अधिकारियों को मिला सख्त संदेश:- इस पूरे घटनाक्रम से जिला प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विकास योजनाओं में लापरवाही करने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। कार्य में गंभीरता और जवाबदेही अब केवल निर्देश भर नहीं, एक अनिवार्यता बन चुकी है।

जनता को आश्वासन, कार्रवाई की शुरूआत:- कलेक्टर कुन्दन कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा,
“हर सरकारी कर्मचारी को यह समझना होगा कि वह जनता की सेवा के लिए है। किसी भी लापरवाही या भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सचिवों से लेकर अधिकारियों तक, सभी की निगरानी अब और सख्त होगी।”

समाप्ति नहीं, एक नई शुरुआत:- दरवाजा पंचायत की यह घटना केवल एक कर्मचारी का निलंबन नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए एक चेतावनी है। यह सख्त कार्रवाई उस प्रशासनिक इच्छाशक्ति को दर्शाती है जो वास्तव में “जनसेवा” को प्राथमिकता देती है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह कार्रवाई अन्य पंचायतों को भी सबक देगी या फिर यह सिर्फ एक दिखावटी प्रयास बनकर रह जाएगी।

 

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