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October 16, 2025 2:41 pm

“धान खरीदी में 50 लाख का काला खेल: सागुनढाप समिति में गड़बड़ी का जिन्न निकला बाहर – किसानों ने दी चक्का जाम की चेतावनी”

“धान खरीदी में 50 लाख का काला खेल: सागुनढाप समिति में गड़बड़ी का जिन्न निकला बाहर – किसानों ने दी चक्का जाम की चेतावनी”

Mahasamund/जिले का सागुनढाप सहकारी समिति इन दिनों भ्रष्टाचार के जाल में फँसी हुई है। जिस धान खरीदी केंद्र पर किसानों को राहत और न्याय मिलना चाहिए था, वहीं अब गबन और घोटाले की कहानियाँ गूँज रही हैं। लगभग 50 लाख रुपए के धान घोटाले का खुलासा होने के बाद ग्रामीणों और किसानों का आक्रोश फूट पड़ा है।

कैसे फूटा घोटाले का जिन्न!
वर्ष 2024-25 की धान खरीदी में प्राधिकृत मथामणि बढ़ई और खरीदी प्रभारी हरिलाल साव पर 1514.40 क्विंटल धान का गबन करने का आरोप है। यह मात्रा इतनी बड़ी है कि गाँव के लगभग सौ किसानों की एक साल की मेहनत पर पानी फेर दे। किसानों का कहना है कि जिन लोगों को उनके धान का सही मूल्य दिलाना था, उन्हीं ने गुपचुप खेल रच डाला।

20 सितंबर को समिति की बैठक में जब कर्मचारियों से पूछताछ हुई, तब परत-दर-परत सच्चाई खुलती चली गई। यह सामने आया कि किसानों का धान बेचकर मिली राशि सीधे समिति के अधिकृत खाते में नहीं गई, बल्कि निजी खातों में स्थानांतरित कर दी गई। यानी जिन जेबों में किसानों का हक़ पहुँचना चाहिए था, वहाँ पहुँचा ही नहीं।

बैठक में मचा हड़कंप!
पूरे मामले की जानकारी जब समिति सदस्यों और किसानों तक पहुँची, तो बैठक में बवाल मच गया। किसानों ने स्पष्ट शब्दों में कहा –
“हम अपनी पसीने की कमाई किसी के जेब में जाने नहीं देंगे। जब तक दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।”

समिति के कई सदस्यों ने भी माना कि यह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार का मामला है। सभी ने मिलकर उपपंजीयक महासमुंद और कलेक्टर को शिकायत सौंपी।

किसानों का गुस्सा – चेतावनी का असर!
गाँव में इन दिनों माहौल गरम है। किसान खुलेआम कह रहे हैं कि अगर 6 अक्टूबर तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे राष्ट्रीय राजमार्ग NH-53 पर चक्का जाम करेंगे। यह चेतावनी केवल शब्दों की नहीं, बल्कि किसानों की सामूहिक शक्ति का ऐलान है।

ग्रामीणों ने पत्र में लेख किया है प्राधिकृत और खरीदी  प्रभारी ने भ्रष्टाचार किया है वहीं किसानों ने कहा धान खरीदी केंद्र किसानों के जीवन रेखा की तरह है। वहीं यदि भ्रष्टाचार होगा, तो उनकी मेहनत का कोई मूल्य नहीं बचेगा।

प्रशासन के सामने चुनौती!
अब जिले का प्रशासन भी दबाव में है। एक ओर किसानों का आक्रोश है, दूसरी ओर आगामी धान खरीदी की तैयारियाँ। यदि किसानों ने बहिष्कार कर दिया, तो जिले में खरीदी प्रक्रिया ठप हो सकती है। साथ ही चक्का जाम की स्थिति ने प्रशासनिक अमले को चौकन्ना कर दिया है।

कलेक्टर को भेजी गई शिकायत में साफ लिखा गया है कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो न केवल समिति का कामकाज ठप होगा, बल्कि जिले की व्यवस्था भी चरमरा जाएगी।

क्यों है मामला गंभीर?

यह घोटाला किसानों की सालभर की मेहनत से जुड़ा है।

•सहकारी समितियों की पारदर्शिता पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

•निजी खातों में राशि ट्रांसफर होना सीधे आपराधिक कृत्य माना जा रहा है।

•प्रशासन की निष्क्रियता आंदोलन का कारण बन सकती है।

आने वाले दिनों में बढ़ेगा बवाल!
अब सबकी निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं। यदि कलेक्टर और उपपंजीयक सख़्त कार्रवाई नहीं करते, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और भी तेज़ हो सकता है। किसानों ने साफ कर दिया है कि वे केवल चेतावनी तक सीमित नहीं रहेंगे।

राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम का असर दूरगामी होगा। यातायात ठप होगा, आमजन परेशान होंगे और सरकार पर दबाव कई गुना बढ़ जाएगा।

इस मामले आगे क्या होगा?
अब यह मामला सिर्फ 50 लाख के गबन का नहीं रह गया है, बल्कि किसानों की अस्मिता और सहकारी समितियों की साख का सवाल बन चुका है।

• यदि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होती है, तो किसानों का भरोसा लौट सकता है।

• यदि प्रशासन ढिलाई दिखाता है, तो यह मामला और बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।

महासमुंद जिले के सागुनढाप सहकारी समिति में हुआ यह 50 लाख का धान घोटाला एक बार फिर दिखाता है कि किसानों के हक़ पर डाका डालने की कोशिशें थमी नहीं हैं। लेकिन इस बार किसान खामोश नहीं हैं। उनका गुस्सा सड़कों पर उतरने को तैयार है।

प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि क्या वे दोषियों पर त्वरित कार्रवाई कर पाएँगे, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।

फिलहाल, गाँव की मिट्टी से उठी आवाज़ यही है –
“हम चुप नहीं बैठेंगे… हमारी मेहनत का हिसाब अब लेना ही होगा।”

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