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September 10, 2025 10:39 pm

डॉक्टर साहब का ‘द्विविवाह’ बना तबाही की वजह: शासन का बड़ा एक्शन, छत्तीसगढ़ के अमोडा CHC के चिकित्सा अधिकारी डॉ. मिथलेश साहू तत्काल निलंबित!

डॉक्टर साहब का ‘द्विविवाह’ बना तबाही की वजह: शासन का बड़ा एक्शन, छत्तीसगढ़ के अमोडा CHC के चिकित्सा अधिकारी डॉ. मिथलेश साहू तत्काल निलंबित!

Kanker/| छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के एक डॉक्टर का व्यक्तिगत जीवन उनके पेशेवर करियर पर भारी पड़ गया। एक तरफ वे मरीजों की सेवा में जुटे थे, वहीं दूसरी तरफ निजी जीवन में उन्होंने ऐसा कदम उठाया जिसने उन्हें सरकारी नौकरी से तुरंत निलंबन तक पहुँचा दिया। शासन के आदेश के मुताबिक,कांकेर जिला में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (CHC) अमोडा में पदस्थ डॉ. मिथलेश साहू को द्विविवाह के मामले में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यह निर्णय नवा रायपुर मंत्रालय से 17 जुलाई 2025 को जारी हुआ, जिसने पूरे स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा दिया है।

दूसरी शादी का राज खुलते ही मचा बवाल!
मंत्रालय से प्राप्त आदेश के अनुसार, डॉ. मिथलेश साहू ने 26 मई 2023 को महासमुंद की डिगेश्वरी साहू से विधिवत विवाह किया था। लेकिन सनसनी तब मची जब यह खुलासा हुआ कि उन्होंने पहली पत्नी से तलाक लिए बिना, 8 जनवरी 2024 को धमतरी निवासी सृष्टि साहू से दूसरी शादी कर ली। यह सीधा उल्लंघन है छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण अधिनियम 1965 के नियम 22 का, जिसमें स्पष्ट प्रावधान है कि कोई भी सरकारी सेवक पहली पत्नी के जीवित रहते हुए द्विविवाह नहीं कर सकता।

इस अनुशासनहीन आचरण की पुष्टि होते ही शासन ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 (1)(क) के तहत डॉ. साहू को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

शासन ने अपनाया सख्त रुख, रायपुर में भेजा गया मुख्यालय!
निलंबन के बाद डॉ. मिथलेश साहू का कार्यस्थल संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं, रायपुर तय किया गया है। अब वे सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना रायपुर मुख्यालय नहीं छोड़ सकते। यानि, उनके सभी सरकारी दायित्व सीमित कर दिए गए हैं।

उल्लेखनीय है कि निलंबन अवधि में उन्हें जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी, जो मूलभूत नियम-53 के तहत निर्धारित की गई है।

इस पूरे मामले में शासन ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि सरकारी सेवा में रहते हुए किसी भी कर्मचारी से नैतिक आचरण और कानूनी मर्यादा की अपेक्षा की जाती है, और इसका उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

क्या थी साजिश या था प्रेम का पागलपन?
मामले ने तब और तूल पकड़ा जब सूत्रों के हवाले से खबरें आने लगीं कि डॉ. साहू की दूसरी पत्नी सृष्टि साहू को उनकी पहली शादी की जानकारी नहीं थी। हालांकि इस संबंध में आधिकारिक रूप से कुछ भी पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन सोशल मीडिया पर इस खबर ने आग की तरह फैलते हुए “#DoctorBigamy” ट्रेंड करना शुरू कर दिया। इस मामले को लेकर कांकेर तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा उनके पूरे परिवार द्वारा कांकेर जाकर शिकायत भी किया गया था जिसमें कांकेर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा पूरा आश्वासन दिया गया था जैसे ही कांकेर मीडिया को इस मामले की भनक लगी तत्काल कांकेर और महासमुंद मीडिया द्वारा मामले को बहुत ही बखूबी तरीके से उजागर किया गया था

इस मामले को लेकर स्थानीय लोग और सहकर्मी भी इस घटनाक्रम से स्तब्ध हैं। कि हमारे डॉक्टर साहब की सरकारी नौकरी करते करते दो – दो पत्नी कैसे रख सकते है।

कानूनी मोर्चे पर क्या होगा अगला कदम?
अब सवाल उठता है कि क्या यह केवल विभागीय कार्रवाई तक सीमित रहेगा या पीड़ित पक्ष की ओर से कोई फौजदारी मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा? यदि पहली पत्नी या कोई भी पक्ष पुलिस में शिकायत दर्ज करता है, तो यह मामला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 494 (द्विविवाह) के अंतर्गत आपराधिक मामला बन सकता है, जिसकी सजा 7 साल तक की हो सकती है। जबकि इस मामले में पहली पत्नी की पक्ष से मामला दर्ज किया जा चुका है।

कई महिला संगठनों ने इस मामले को लेकर राज्य महिला आयोग से स्वतः संज्ञान लेने की मांग की है। वहीं दूसरी ओर कुछ मानवाधिकार संगठनों का तर्क है कि यह मामला डॉक्टर के व्यक्तिगत जीवन से जुड़ा है और इसे गोपनीय तरीके से हल किया जाना चाहिए।

व्यवस्था पर सवाल, चयन प्रक्रिया की निगरानी जरूरी?
इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की चरित्र सत्यापन प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या सेवाभर्ती से पूर्व पर्याप्त पृष्ठभूमि जांच होती है? क्या सेवा में आने के बाद अधिकारियों के आचरण की निगरानी की कोई प्रभावशाली प्रणाली है? ये सारे सवाल अब स्वास्थ्य मंत्रालय और प्रशासन के सामने खड़े हो गए हैं।

शासन की चेतावनी: “सरकारी सेवा में निजी आचरण भी मायने रखता है”
इस निर्णय के माध्यम से राज्य शासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि “नैतिक पतन” को भी सेवा दोष माना जाएगा। डॉ. साहू के खिलाफ की गई कार्रवाई एक चेतावनी है उन सभी सरकारी सेवकों के लिए जो अपनी निजी ज़िंदगी को सरकारी आचरण संहिता से ऊपर मानते हैं।

इस पूरे घटनाक्रम ने छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है—क्या नैतिक आचरण निजी मामला है या सरकारी सेवा का हिस्सा? फिलहाल एक डॉक्टर की प्रेम कहानी अब प्रशासनिक कार्रवाई और संभावित कानूनी मुकदमे के गिर्द घूम रही है।

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