Mahasamund।शासकीय माता कर्मा कन्या महाविद्यालय के प्रांगण में 12 अगस्त 2025 को माहौल कुछ अलग ही था। हवा में किताबों की खुशबू थी, मन में ज्ञान की प्यास, और हर चेहरे पर उत्सुकता की चमक। अवसर था “नेशनल लाइब्रेरियन डे” का — वह दिन, जब देश अपने पुस्तकालयों के संरक्षकों, ज्ञान के प्रहरी और पुस्तकों के अमर रक्षकों को नमन करता है।
यह आयोजन महाविद्यालय के ग्रंथालय विभाग की ओर से भारत में पुस्तकालय विज्ञान के जनक कहे जाने वाले डॉ. एस. आर. रंगनाथन जी की स्मृति को समर्पित था। इस दिन को खास बनाने के लिए एक अनूठी ऑनलाइन प्रतियोगिता रखी गई, जिसमें छात्राओं ने न केवल भाग लिया, बल्कि ज्ञान और तकनीक का अद्भुत संगम भी देखा।
कार्यक्रम की शुरुआत ग्रंथपाल अजय श्रीवास के प्रेरक प्रयास से हुई। उन्होंने लाइब्रेरी ब्लॉग के माध्यम से डॉ. रंगनाथन की जीवनी को इतनी रोचक शैली में प्रस्तुत किया कि छात्राएं मानो समय की यात्रा कर उस युग में पहुंच गईं, जब एक व्यक्ति ने अकेले पुस्तकालय विज्ञान की दिशा ही बदल दी थी। उनकी जीवनी ने यह संदेश दिया कि पुस्तकालय केवल किताबों का भंडार नहीं, बल्कि विचारों और सपनों का जीवंत संसार है।
जीवनी के प्रसारण के बाद, माहौल और भी रोमांचक हो गया। छात्राओं के सामने बहुविकल्पीय प्रश्नों की एक तेज़-तर्रार ऑनलाइन प्रतियोगिता रखी गई, जिसमें ज्ञान के साथ-साथ तेज़ सोच और सही उत्तर देने की फुर्ती की भी परीक्षा थी। सवाल आते ही माउस क्लिक और स्क्रीन टैप की आवाज़ों ने मानो पूरे महाविद्यालय को एक डिजिटल परीक्षा कक्ष में बदल दिया।
छात्राओं ने उत्साह, आत्मविश्वास और प्रतिस्पर्धा की भावना के साथ भाग लिया। नतीजों की घोषणा के साथ ही सभी प्रतिभागियों के ईमेल पर ई-सर्टिफिकेट भेजे गए, जो उनके ज्ञान और भागीदारी का प्रतीक बन गए।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस. बी. कुमार ने अपने संदेश में कहा,
“डॉ. रंगनाथन जैसे व्यक्तित्व हमें सिखाते हैं कि ज्ञान का सबसे बड़ा उपहार है – उसे दूसरों तक पहुंचाना। पुस्तकालय केवल पुस्तकों का घर नहीं, बल्कि विचारों का प्रकाशस्तंभ है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी समाज का मार्गदर्शन करता है।”
कार्यक्रम की सफलता में महाविद्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारीगणों का योगदान सराहनीय रहा। सभी ने एक स्वर में कहा कि इस प्रकार के आयोजन न केवल ज्ञान बढ़ाते हैं, बल्कि छात्रों में पुस्तक प्रेम और शोध की आदत भी जगाते हैं।
इस पूरे आयोजन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि
“पुस्तकालय की धूल भरी अलमारियों में भी भविष्य की रौशनी छुपी होती है, बस उसे खोजने के लिए एक जिज्ञासु मन चाहिए।”
महासमुंद के इस डिजिटल और सांस्कृतिक संगम ने नेशनल लाइब्रेरियन डे को एक यादगार पर्व में बदल दिया, जहां किताबों की दुनिया ने तकनीक का हाथ थामकर नई पीढ़ी को ज्ञान के अनंत आकाश से परिचित कराया।