“छात्रावास में सुरक्षा के दावों की पोल खुली: अधीक्षक की लापरवाही से मासूम की मौत ने हिलाया जरहाडीह”!
Balrampur/रविवार की शाम बलरामपुर जिले के जरहाडीह स्थित आदिवासी छात्रावास में हुई दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया। चौथी कक्षा के 10 वर्षीय छात्र अभय कच्छप की असमय मौत ने न केवल छात्रावास प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि अभिभावकों और ग्रामीणों के मन में आक्रोश और भय भी पैदा कर दिया है।
खेल-खेल में मातम!
छात्रावास परिसर में उस दिन सफाई और झाड़ी काटने का काम चल रहा था। बच्चों को दूर रखने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई थी। कई छात्र पास ही खेल रहे थे, जिनमें मासूम अभय भी शामिल था। तभी अचानक किसी धारदार औजार की चपेट में आने से अभय का पैर बुरी तरह घायल हो गया। नन्हे शरीर की नस कटने से खून की धारा बहने लगी और छात्र की चीखें सुनकर साथी छात्र और कर्मचारी सहम गए।
लापरवाही ने छीनी मासूम की सांसें!
घटना के बाद आनन-फानन में अधीक्षक ने अभय को जिला अस्पताल बलरामपुर पहुंचाया। डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद हालत गंभीर देख अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। लेकिन यह दौड़-धूप भी अभय को बचा नहीं सकी। रास्ते में ही उसकी हालत बिगड़ती चली गई और अंबिकापुर पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
गांव-गांव में गूंजा मातम!
अभय की दर्दनाक मौत की खबर जैसे ही उसके पैतृक गांव पहुंची, पूरे इलाके में मातम छा गया। ग्रामीणों ने छात्रावास प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा – “जब झाड़ी काटने और सफाई जैसे जोखिमपूर्ण कार्य हो रहे थे तो बच्चों को वहां से दूर क्यों नहीं किया गया?”
अभिभावकों का फूटा गुस्सा!
सोमवार सुबह से ही बड़ी संख्या में ग्रामीण और अभिभावक छात्रावास पहुंचे और जमकर नारेबाजी की। उनका कहना था कि “बच्चों को सुरक्षित माहौल देने का वादा केवल कागजों में है, हकीकत में छात्रावास मौत का अड्डा बन गए हैं।” अभिभावकों ने दोषी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई और छात्रावासों की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की।
प्रशासन की सफाई!
मामले के तूल पकड़ने पर जिला प्रशासन हरकत में आया। अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। प्रशासन का कहना है कि “घटना दुखद है, जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।” हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि केवल जांच का आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई होनी चाहिए।
राजनीतिक रंग भी चढ़ा!
जैसे ही खबर फैली, स्थानीय जनप्रतिनिधि और राजनीतिक दल भी सक्रिय हो गए। विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा – “राज्य सरकार की उदासीनता और छात्रावास प्रबंधन की लापरवाही के कारण आज एक मासूम की जान चली गई। आदिवासी बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।” वहीं सत्ता पक्ष ने भरोसा दिलाया कि मृतक छात्र के परिवार को उचित मुआवजा और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।
छात्रावास सुरक्षा पर सवाल!
यह पहली बार नहीं है जब छात्रावास प्रबंधन पर सवाल उठे हैं। आए दिन भोजन, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े मामले सुर्खियों में रहते हैं। अभय की मौत ने इन व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। ग्रामीणों का कहना है कि “छात्रावासों में पढ़ने वाले बच्चे अपने घरों से दूर रहते हैं और सरकार पर भरोसा कर शिक्षा प्राप्त करते हैं, लेकिन अगर यही जगह उनकी मौत का कारण बनेगी तो माता-पिता बच्चों को कैसे भेजेंगे?”
जनाक्रोश का स्वर!
सूत्रों से मिली जानकारी से ग्रामीण संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन करेंगे। लोगों ने मांग की है कि सभी छात्रावासों की सुरक्षा और व्यवस्थाओं की जांच उच्चस्तरीय कमेटी से कराई जाए।
अभय कच्छप की मौत ने न केवल एक मासूम जीवन छीना है बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और छात्रावास प्रबंधन की वास्तविकता को भी उजागर कर दिया है। यह घटना एक करारा सवाल है – क्या हमारे छात्रावास बच्चों को शिक्षा और सुरक्षा देने के लिए हैं या लापरवाही की कब्रगाह बनने के लिए?