करंट का खूनी जाल:आरक्षित वन में शिकारियों का काला खेल – बिजली के तार से सुअर और भालू की मौत, मौके से पांच गिरफ्तार, एक फरार…
Mahasamund/जंगल की शांति को भेदती एक सनसनीखेज वारदात ने पूरे बागबहारा परिक्षेत्र को दहला दिया। 8 सितंबर 2025 को बागबहारा के अंतर्गत परिसर जोरातराई स्थित आरक्षित वन कक्ष क्रमांक 179 में शिकारियों ने मौत का ऐसा जाल बिछाया, जिसने न केवल वन्यजीव संरक्षण को चुनौती दी, बल्कि इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया।
वन विभाग की टीम ने खुलासा किया कि ग्राम भीमखोज़ और जोरातराई कमार डेरा निवासी कुछ शातिर शिकारी शिकार करने के इरादे से जंगल पहुंचे थे। उन्होंने 11 केवी विद्युत लाइन में अवैध रूप से जीआई तार खूंटी लगाकर बिजली करंट का फंदा तैयार किया। यही मौत का जाल एक जंगली सुअर और 12 वर्षीय नर भालू की जान ले बैठा।
मौके का भयावह मंजर!
सूचना मिलते ही उपवनमंडल अधिकारी के नेतृत्व में बागबहारा परिक्षेत्र का पूरा स्टाफ़ और वन विद्यालय महासमुंद के प्रशिक्षु तुरंत मौके पर पहुंचे। वहां जो दृश्य सामने आया, उसने सबको सन्न कर दिया। एक ओर बिजली के करंट से तड़प-तड़प कर मृत पड़ा भालू, तो दूसरी ओर जंगली सुअर का अधपका मांस – यह साबित कर रहा था कि शिकारी पहले ही सुअर का शिकार कर उसकी दावत उड़ाने की तैयारी में थे।
टीम ने तत्काल सर्चिंग अभियान चलाया और घटनास्थल से जीआई तार, अधपका मांस और अन्य साक्ष्य जब्त किए।
पांच शिकारी दबोचे गए, एक फरार!
वन विभाग की कार्रवाई में मौके से पांच आरोपियों को रंगेहाथ पकड़ लिया गया।
•(1) अगर सिंह पिता चमरू उम्र 40 वर्ष,
•(2) अर्जुन पिता चमरू उम्र 36 वर्ष,
•(3) तुलाराम पिता पुनीत राम बिंझवार उम्र 35 वर्ष,
•(4) चैतराम पिता दुखसिंह,
•(5) चैतराम पिता इंद्र कुमार,
ये पांचों आरोपित जंगल में करंट से शिकार करने के जुर्म में वन विभाग के हत्थे चढ़ गए। हालांकि, एक अन्य आरोपी मौके से फरार हो गया, जिसकी तलाश अब भी जारी है।
कानून के शिकंजे में शिकारी!
वन विभाग ने तत्काल प्रकरण दर्ज कर अग्रिम कार्यवाही शुरू कर दी है। प्रारंभिक पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि वे लंबे समय से इसी तरीके से शिकार करते आ रहे थे। बिजली विभाग की लापरवाही और जंगलों की निगरानी में ढिलाई का फायदा उठाकर ये शिकारी वन्यजीवों को मौत के घाट उतारते थे।
अधिकारियों के मुताबिक, यह न केवल वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का गंभीर उल्लंघन है बल्कि विद्युत अधिनियम के तहत भी यह अपराध है। शिकारी अब दोहरी कानूनी कार्यवाही के घेरे में आएंगे।
संरक्षण पर उठे सवाल!
जंगली भालू और सुअर जैसे प्राणी जंगल की जैव विविधता का अहम हिस्सा हैं। लेकिन, मानव लालच और शिकार की प्रवृत्ति उन्हें लगातार खतरे में डाल रही है। इस वारदात ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि वन्यजीव सुरक्षा पर करोड़ों खर्च करने के बावजूद जंगलों में करंट और शिकारियों का खेल आखिर कैसे चल रहा है?
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग की गश्त अक्सर सिर्फ कागजों तक सीमित रहती है। अगर टीम समय पर सक्रिय रहती तो शायद यह हादसा टल सकता था।
करंट वाला शिकार – जंगल के लिए नया खतरा!
शिकार के पारंपरिक तरीकों से हटकर अब शिकारी बिजली का सहारा लेने लगे हैं। यह न केवल जानवरों के लिए बल्कि जंगल में घूमने वाले चरवाहों और ग्रामीणों के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है। वन विभाग ने इस घटना के बाद सख्ती बढ़ाने का आश्वासन दिया है।
प्रशासन की सख्त चेतावनी!
वन अधिकारियों ने साफ कहा है कि अब ऐसे मामलों में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। जो भी लोग वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे, उन्हें जेल की हवा खानी पड़ेगी। साथ ही, स्थानीय लोगों से भी अपील की गई है कि वे शिकारियों की जानकारी विभाग को दें, ताकि जंगल और जानवर सुरक्षित रह सकें।
यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि जंगल की आत्मा पर किया गया गहरा प्रहार है। भालू और सुअर की मौत से वन्यजीव संरक्षण की नीतियों पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। शिकारी भले ही जेल की सलाखों तक पहुंच जाएं, लेकिन सवाल यही है – कब तक जंगल का राजा और उसके साथी करंट के इस खूनी खेल का शिकार बनते रहेंगे?