“आसमान से बरसी आफ़त: उत्तरकाशी में बादल फटने से तबाही, गाँव बहे, चीखों से गूंजे पहाड़!”
पीएम मोदी, शाह और राजनाथ का आपात संवाद; राहत-बचाव में झोंकी पूरी ताक़त!
उत्तरकाशी/देहरादून/ उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के धराली क्षेत्र में मंगलवार तड़के क़यामत टूट पड़ी। सुबह 5:45 बजे के क़रीब खीरगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने की भीषण घटना ने सैकड़ों जिंदगियों को थाम लिया। तेज़ गड़गड़ाहट, बारिश की गर्जना और फिर सैकड़ों टन पानी, कीचड़ और पत्थरों की गरजती धारा ने पहाड़ी गाँवों को देखते ही देखते निगल लिया।
स्थानीय निवासी जब नींद से जागे, तब तक उनका संसार बह चुका था। गाड़ियां, मकान, दुकानें और यहां तक कि लोगों के सपने भी उस सैलाब में बह गए जिसे कोई रोक नहीं सका। इस भीषण त्रासदी में अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, लेकिन ज़मीनी हालात और लापता लोगों की संख्या को देखते हुए मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। कम से कम दो दर्जन लोग लापता हैं। कई गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया है।
चीखें, सिसकियाँ और सन्नाटा!
धराली के रामपुर और भट्टवाड़ी इलाकों में लोगों की आँखों में खौफ साफ़ झलक रहा है। गाँव की बुजुर्ग महिला सोमवती देवी कहती हैं, “हम सो रहे थे… अचानक ज़ोर की आवाज़ आई, लगा पहाड़ टूट पड़ा हो। बाहर निकले तो चारों ओर पानी ही पानी था, लोग चीख रहे थे, कोई किसी को नहीं देख पा रहा था।”
सड़कों का नामोनिशान मिट चुका है, पुल बह चुके हैं और बिजली-पानी की आपूर्ति पूरी तरह ठप हो गई है। हेलिकॉप्टर से राहत सामग्री गिराने की कोशिशें शुरू की गई हैं, लेकिन मौसम की मार और पहाड़ी इलाके में यह एक दुष्कर कार्य बन गया है।
केंद्र सरकार की तत्काल सक्रियता!
जैसे ही ख़बर राजधानी तक पहुँची, देश की शीर्ष नेतृत्व हरकत में आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से संपर्क साधा। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा,
“उत्तरकाशी के धराली में हुई त्रासदी से प्रभावित लोगों के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ। सभी पीड़ितों की कुशलता की कामना करता हूँ। राज्य सरकार की निगरानी में राहत और बचाव दल हर संभव प्रयास में लगे हुए हैं। लोगों की सहायता में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।”
गृह मंत्रालय ने NDRF-ITBP को दी हवाई उड़ान!
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस आपदा को गंभीर मानते हुए तीन आईटीबीपी की टीमों और चार एनडीआरएफ की टीमों को तत्काल मौके पर रवाना कर दिया। शाह ने कहा,
“मैंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से बात की है। केंद्र सरकार हरसंभव सहायता के लिए प्रतिबद्ध है। घटनास्थल पर फंसे लोगों को निकालने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास जारी हैं।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जताई चिंता!
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बयान जारी किया और लिखा,
“उत्तरकाशी में बादल फटने से उपजे हालात विचलित करने वाले हैं। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर ज़िंदगियाँ बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।”
धरती पर तबाही, आसमान से निगरानी!
भारतीय वायुसेना को भी स्टैंडबाय पर रखा गया है। चार चिनूक और दो एमआई-17 हेलिकॉप्टर उत्तराखंड के जॉलीग्रांट एयरबेस पर तैयार रखे गए हैं। मौसम साफ़ होते ही हवाई राहत अभियान तेज किया जाएगा। सेना और अर्धसैनिक बलों को ग्रामीण इलाकों में पैराशूट से खाद्य सामग्री पहुंचाने का निर्देश दिया गया है।
नेत्रहीन खोजी कुत्ता दल और थर्मल ड्रोन्स की मदद!
एनडीआरएफ के विशेष खोजी दल — जिसमें नेत्रहीन क्षेत्रों में काम करने वाले प्रशिक्षित कुत्ते और थर्मल ड्रोन्स शामिल हैं — को भी लगाया गया है। वे मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश में जुटे हैं।
धामी सरकार की अपील: अफवाहों से बचें, सहयोग करें!
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि किसी भी अफवाह से दूर रहें और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करें। उन्होंने कहा,
“हम केंद्र सरकार के सहयोग से हर गांव तक राहत पहुंचाएंगे। उत्तरकाशी के लोगों को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।”
तस्वीरें जो रुला दें: पहाड़ों पर पसरा मातम!
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं — बहते हुए मकानों की छतें, मलबे में दबे परिवार, रोते-बिलखते परिजन और दूर तलक फैला जल प्रलय। यह सिर्फ़ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि इंसानियत की परीक्षा है।
समापन: क्या यही ‘न्यू नॉर्मल’ है?
उत्तरकाशी की इस त्रासदी ने एक बार फिर जलवायु परिवर्तन और पहाड़ों में अनियंत्रित निर्माण कार्यों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या हम अब हर साल ऐसे “बादल फटने” की कहानियाँ पढ़ते रहेंगे? क्या समय आ गया है कि हम प्रकृति के साथ सामंजस्य की ओर लौटें, या फिर ऐसी त्रासदियाँ बार-बार हमारे दरवाज़े पर दस्तक देती रहेंगी?