“इंटरनशिप की महागाथा: बागबाहरा के विद्यार्थियों को मिला पत्रकारिता का जौहरी प्रमाण-पत्र, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में कदम रखने की तैयारी!”
Bagbahra/शासकीय खेल कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय बागबाहरा में बुधवार को एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक क्षण सामने आया, जब पत्रकारिता में इंटर्नशिप पूर्ण करने वाले विद्यार्थियों को औपचारिक रूप से प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। यह केवल प्रमाण-पत्र नहीं, बल्कि आने वाले कल के लिए एक मजबूत नींव थी, जो विद्यार्थियों को लोकतंत्र के प्रहरी — प्रेस — की ओर अग्रसर कर रही थी।
इस विशेष अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन हिंदी विभाग द्वारा महाविद्यालय की गरिमामयी प्राचार्य डॉ. रश्मि मिंज के निर्देशन में किया गया। मंच पर उपस्थित रहे प्रेस क्लब बागबाहरा के अध्यक्ष रवि सेन, जिन्होंने मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई, वहीं वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र साहू विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का संचालन गजानंद बुडेक, सहायक प्राध्यापक वाणिज्य द्वारा किया गया, जबकि आभार प्रदर्शन हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्ण कुमार साहू ने किया।
पत्रकारिता के इतिहास से लेकर वर्तमान तक की प्रेरक यात्रा!
मुख्य अतिथि रवि सेन ने जब विद्यार्थियों को संबोधित किया, तो पूरा सभागार उनके शब्दों की गूंज से गर्व और ऊर्जा से भर उठा। उन्होंने भारत में पत्रकारिता की नींव 1780 में बंगाल गजट से रखे जाने की ऐतिहासिक जानकारी दी और बताया कि किस प्रकार शुरुआती प्रेस ने अनेक कठिनाइयों और दमन का सामना करते हुए जनता की आवाज बनकर उभरी।
रवि सेन ने यह भी स्पष्ट किया कि आजादी के बाद प्रेस ने लोकतंत्र की आत्मा को जीवंत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समाचार पत्र और पत्रिकाएं अब केवल सूचनाओं का माध्यम नहीं बल्कि सामाजिक विमर्श, आलोचना और विचार-विनिमय का सक्रिय मंच बन चुके हैं। उन्होंने कहा, “आप विद्यार्थियों की भागीदारी ही भविष्य में लोकतंत्र को और अधिक सशक्त बनाएगी।”
प्रेस : प्रहरी या क्रांति का अग्रदूत?
विशेष अतिथि देवेंद्र साहू ने पत्रकारिता की भूमिका को केवल सूचना देने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे भ्रष्टाचार, सामाजिक अन्याय और मानवाधिकार हनन के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाला सजग प्रहरी करार दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि पत्रकारिता का कार्य केवल रिपोर्टिंग नहीं, बल्कि समाज में परिवर्तन की चेतना फैलाना है।
उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि कैसे एक सशक्त प्रेस किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की रीढ़ होती है। “प्रेस न केवल समस्याओं को उजागर करती है, बल्कि जनमत को जागृत कर उसे बदलाव की दिशा में प्रेरित भी करती है।”
इंटर्नशिप प्रशिक्षण: पत्रकारिता की प्रयोगशाला!
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत एम.ए. हिंदी द्वितीय सेमेस्टर में शामिल की गई अनिवार्य इंटर्नशिप का उद्देश्य था — छात्रों को जमीनी स्तर पर पत्रकारिता का व्यावहारिक अनुभव देना। इस दिशा में प्रेस क्लब बागबाहरा ने मार्गदर्शक की भूमिका निभाई।
विद्यार्थियों को 30 घंटे का गहन प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिसमें प्रिंट मीडिया के अंतर्गत समाचार संकलन, साक्षात्कार, प्रेस विज्ञप्ति निर्माण, सार्वजनिक दस्तावेजों की व्याख्या, समाचार रिपोर्ट, फीचर लेख, संपादकीय लेखन आदि की बारीकियों से अवगत कराया गया।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अंतर्गत रिपोर्टिंग तकनीक, लाइव कवरेज, कैमरा फेसिंग, बाइट लेने की प्रक्रिया और सोशल मीडिया की बदलती भूमिका पर भी विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
यह प्रशिक्षण केवल पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं रहा, बल्कि पत्रकारिता की असली दुनिया में कदम रखने की शुरुआत थी। प्रशिक्षण कार्य का दायित्व रवि सेन, देवेंद्र साहू, महेश हरपाल जैसे वरिष्ठ पत्रकारों ने बखूबी निभाया।
भावनाओं का संगम: प्रमाण-पत्र वितरण का दृश्य
जैसे ही विद्यार्थियों को मंच पर बुलाकर प्रमाण-पत्र वितरित किए गए, सभागार तालियों की गूंज से भर उठा। कुछ विद्यार्थियों की आंखें नम थीं, तो कुछ के चेहरों पर भविष्य के सुनहरे सपनों की झलक साफ दिख रही थी। यह पल केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि उनके आत्मविश्वास का प्रमाण था।
गरिमामयी उपस्थिति:- इस अवसर पर न केवल हिंदी विभाग के विद्यार्थी उपस्थित रहे, बल्कि राजनीति विभाग से बीरेंद्र सिंह ठाकुर, ग्रंथालय प्रमुख डॉ. लक्ष्मण सिंह साहू, तथा महाविद्यालय के अन्य शिक्षकगण भी कार्यक्रम में मौजूद रहे। विद्यार्थियों में प्रमुख रूप से दिव्या साहू, रानी, नंदनी, प्रियंका, गुंजन, खिलेश्वरी, अंजली, कृष्ण कुमार देवांगन, देवकी दीवान, रूखमणि, रंजना साहू, आशीष कुमार, हेमपुष्पा, शारदा कुमार, दुर्गा सिंह, पूर्णिमा साहू, दामिनी, लता और ओमेश्वरी सिंह की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
एक नई शुरुआत!
बागबाहरा के इस छोटे से नगर में आयोजित यह भव्य कार्यक्रम यह सिद्ध करता है कि बड़े सपने कहीं भी जन्म ले सकते हैं। यह प्रमाण-पत्र सिर्फ एक कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि उन युवाओं के भीतर समाहित उस ऊर्जा का प्रतीक है जो कल को बदलने का माद्दा रखती है।
अब ये छात्र-छात्राएं सिर्फ विद्यार्थी नहीं रहे, वे उस यज्ञ में आहुति देने वाले अग्निकुंड के अंग बन चुके हैं, जिसे हम पत्रकारिता कहते हैं — जहाँ शब्द हथियार होते हैं, और सच्चाई युद्धभूमि।