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September 10, 2025 3:54 pm

“आयुष्मान का चीरहरण: ‘फ्री इलाज’ के नाम पर अस्पताल में लाखों की लूट, टेक्निकल इशू या सुनियोजित धोखा?”अब न्याय की मांग,,,

CG”आयुष्मान का चीरहरण: ‘फ्री इलाज’ के नाम पर अस्पताल में लाखों की लूट, टेक्निकल इशू या सुनियोजित धोखा?”अब न्याय की मांग,,,

सरगुजा। सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारतयोजना, जिसका उद्देश्य देश के सबसे गरीब तबके को नि:शुल्क इलाज देना है उसी योजना को निजी अस्पतालों ने मुनाफाखोरी और लूट का जरिया बना लिया है। अंबिकापुर के लाइफ लाइन अस्पताल पर ऐसा ही एक गंभीर आरोप सामने आया है, जिसमें एक गरीब मरीज से लाखों रुपये नकद वसूले गए, जबकि उसका इलाज योजना के अंतर्गत पहले ही स्वीकृत था।
अब सवाल उठ रहा है ये महज एक “टेक्निकल इशू” है, या फिर योजनाबद्ध तरीके से गरीबों को लूटने की सुनियोजित व्यवस्था?

पूरा मामला : इलाज की आड़ में दोहरी कमाई? : ग्राम पंचायत रामनगर, थाना बिश्रामपुर (सूरजपुर) की राजकुमारी देवी को 11 फरवरी 2025 को सीने में तेज दर्द की शिकायत पर जिला अस्पताल सूरजपुर से अंबिकापुर के लाइफ लाइन अस्पताल में रेफर किया गया। आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद अस्पताल ने उनसे पहले दिन ही ₹40,000 नकद लेकर एक इंजेक्शन लगाया — MIREL for intravenous use only।

RTI से हुआ खुलासा :

12 से 17 फरवरी: मेडिकल केस के तहत ₹50,000 की स्वीकृति
17 से 20 फरवरी: सर्जिकल केस के तहत ₹72,200 की स्वीकृति

यानी अस्पताल को सरकार से कुल ₹1,22,200 मिलने तय थे फिर क्यों वसूले गए ₹2 लाख से ज्यादा नकद?
धोखा सर्जरी की टाइमलाइन में भी :

सर्जरी की गई 16 फरवरी को, लेकिन सरकारी मंजूरी मिली 17 फरवरी से – क्या यह घड़ी देखकर इलाज करने की व्यवस्था है, या फिर दस्तावेजों में हेरफेर?

डॉक्टरों के उलझे बयान, मरीजों का टूटा भरोसा :- सर्जरी के बाद कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सूर्यवंशी ने दावा किया: “ब्लॉकेज का सफल ऑपरेशन हो गया है। मरीज ठीक हैं।”

पर 2 दिन बाद डॉ. असाटी का बयान: “अभी दो और ब्लॉकेज बाकी हैं, सर्जरी एक महीने बाद होगी।”

जब परिजनों ने सवाल उठाए, तो दोनों डॉक्टरों ने बयान बदल दिए “हां, दो ब्लॉकेज और बाकी हैं।” तो क्या यह मेडिकल लापरवाही है, या जानबूझकर इलाज को टुकड़ों में तोड़कर वसूली का जाल बुना गया?

समाजसेवी दीपक मानिकपुरी ने खोली पोल : दीपक मानिकपुरी, जो सरगुजा अंचल में वर्षों से स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत हैं, इस मामले को सामने लाए।

समाजसेवी दीपक मानिकपुरी ने खोली पोल

 

कहां-कहां दी गई शिकायतें :

•परिजनों और दीपक मानिकपुरी ने 19 मई 2025 को शिकायतें दी-
 •थाना कोतवाली, अंबिकापुर
 जिला कलेक्टर, सरगुजा
 •मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO), सरगुजा

अब उठ रहे हैं ये तीखे सवाल :क्या “टेक्निकल इशू” सिर्फ बहाना था — या ये मरीज से पैसा वसूलने की स्क्रिप्ट है?
जब आयुष्मान कार्ड पर मंजूरी थी, तो नकद वसूली किस आधार पर?
सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग और ऑडिट क्यों नहीं होती?
डॉक्टरों के विरोधाभासी बयान से जनता का भरोसा कैसे बचेगा?

जनता की मांग : अब कोई समझौता नहीं!

 •लाइफ लाइन अस्पताल पर FIR दर्ज कर कड़ी जांच हो।
 •आयुष्मान योजना के क्लेम्स का स्वतंत्र ऑडिट हो।
 •दोषी डॉक्टरों और प्रबंधन का मेडिकल लाइसेंस तत्काल रद्द हो।
 •रियल-टाइम क्लेम मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया जाए।

https://jantakitakat.com/2025/05/24/cgगरियाबंद-शिक्षा-पर-ग्रहण/

‘आयुष्मान’ तभी, जब सिस्टम ईमानदार हो : सरगुजा के इस मामले ने साफ कर दिया है कि गरीबों की जिंदगी को भी मुनाफे की मशीन बना लिया गया है। सरकार की नाक के नीचे आयुष्मान योजना की आड़ में अपयशपूर्ण घटनाएं हो रही हैं — और जब तक प्रशासन आंखें मूंदे रहेगा, तब तक ये घटनाएं “टेक्निकल इशू” के नाम पर दबा दी जाएंगी।

अब सवाल प्रशासन से है, क्या वाकई न्याय होगा? या फिर ये भी एक “फाइलों में बंद” मामला बनकर रह जाएगा?…

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